बिलासपुर में शिक्षा विभाग की पहल: शिक्षक छुट्टी पर, फिर भी चलेगी क्लास
शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार की दिशा में हिमाचल प्रदेश का बिलासपुर जिला पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बनकर उभरा है। अब यहां किसी भी स्कूल में अगर शिक्षक अवकाश पर होता है, तो भी विद्यार्थियों की पढ़ाई नहीं रुकेगी। शिक्षा विभाग बिलासपुर ने सीवी रमण क्लास रूम नामक एक नई योजना शुरू की है, जिसके तहत हर परिस्थिति में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना सुनिश्चित किया गया है। इस अभिनव योजना की शुरुआत बिलासपुर जिला में तैनात उच्च शिक्षा उपनिदेशक रेणू कौशल द्वारा की गई है। उन्होंने बरठीं, स्वाहण और घुमारवीं के छात्र स्कूल को सीवी रमण क्लास रूम के रूप में चिन्हित किया है। इन स्कूलों को आधुनिक तकनीक से सुसज्जित कर, पूरे जिले में शिक्षा के लिए एक केंद्रीकृत ऑनलाइन स्रोत बना दिया गया है। इसी के साथ जिले के सभी स्कूलों में वेब कैमरे स्थापित कर दिए गए हैं। यदि किसी स्कूल में किसी विषय का शिक्षक अवकाश पर होता है, तो उस विषय की कक्षा इन विशेष रूप से चयनित तीन स्कूलों से वर्चुअल माध्यम से संचालित की जाएगी। इससे सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी परिस्थिति में विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो। बता दें कि सीवी रमण क्लास रूम नाम की यह योजना तकनीक और शिक्षा का बेहतरीन संगम है। शिक्षा विभाग का मानना है कि यह पहल न केवल शैक्षणिक निरंतरता सुनिश्चित करेगी, बल्कि छात्रों को डिजिटल शिक्षा से भी जोड़ेगी। यह मॉडल अन्य जिलों और राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है। वहीं, इस तरह की योजना लागू करने वाला हिमाचल का पहला जिला बनकर बिलासपुर ने प्रदेशभर में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। अब शिक्षा केवल शिक्षक की उपस्थिति तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि तकनीक के सहयोग से यह किसी भी सीमा को पार कर सकती है। साथ ही इस योजना से छात्रों को सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि उनकी पढ़ाई किसी भी कारणवश नहीं रुकेगी। अभिभावक भी संतुष्ट हैं कि अब छुट्टियों के कारण बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि सीवी रमण क्लास रूम योजना केवल तकनीक आधारित नहीं, बल्कि शिक्षा में समानता को बढ़ावा देने वाली पहल भी है। छोटे और दूरदराज के स्कूलों को अब किसी विषय विशेष में विशेषज्ञ शिक्षक न मिलने की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। इस वर्चुअल नेटवर्क से हर छात्र को एक समान गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सकेगी। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल केवल बिलासपुर तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। यह मॉडल पूरे प्रदेश में लागू किया जा सकता है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां शिक्षकों की कमी है या भौगोलिक दूरी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं पहुंच पा रही। वहीं, बिलासपुर जिले की यह पहल एक डिजिटल एजुकेशन रिवॉल्यूशन की शुरुआत कही जा सकती है। वहीं, इस सब योजना का श्रेय बिलासपुर जिला में तैनात उच्च शिक्षा उपनिदेशक रेणु कौशल को जाता है जो विद्यार्थियों को बेहतर और आज के युग के साथ जोड़कर पढ़ाई के नए-नए अवसर पैदा कर रही हैं।