सुक्खू सरकार कर्मियों पर मेहरबान होने को लेकर हुई 'गंभीर'
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू एक बार फिर कर्मचारियों पर मेहरबान होने वाले हैं। पेंशन बहाली के बाद सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने की गंभीर मंत्रणा चली है। सचिवालय स्तर पर आलाधिकारी तमाम संभावनाएं तलाश रहे हैं। बाकायदा वित्त विभाग को एक्टिव मोड पर रखा गया है। अतिरिक्त वित्तीय भार का लेखाजोखा टटोला जा रहा है। अभी सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष है। अगर एक साल बढ़ जाती है, अर्थात 59 वर्ष होती है, उस सूरत में 1,84000 लाख के आसपास कर्मचारी सीधे तौर पर लाभ के दायरे में आएंगे। राज्य के कर्मचारियों की लंबे समय से सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने की मांग चली है, वह 59 या फिर 60 वर्ष करने का तर्क दे रहे हैं। मुख्य मांग की आवाज बढ़ती देखते हुए सीएम ने पहले ही डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी का गठन कर लिया है। कमेटी ने कुछ समय पहले सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने की सिफारिश की है और तर्क दिया है, कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है, व्यवाहारिक तौर पर ऐसा हो सकता है। काबिले गौर है कि प्रदेश में आईएएस अधिकारियों, डॉक्टरों, प्रोफेसरों सहित अन्य की आयु 60 वर्ष है, लेकिन तृतीय श्रेणी के कर्मचारी 58 वर्ष में ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
रोजगार पर किया जा रहा मंथन
सरकार की कोशिश है कि इसको लेकर आगे चलकर कोई विवाद पैदा न हो और न ही रोजगार पर किसी तरह का विपरीत असर पड़े। वैसे भी प्रदेश में बेरोजगारी की फौज बढ़ती जा रही है, जो सरकार को परेशान कर सकती है, इसलिए हर तरह की संभावनाओं का आकलन किया जा रहा है।
कर्मियों की देनदारी पर भी हुई गंभीर
दावा यह भी किया जा रहा है कि सीएम सुक्खू कर्मचारियों की देनदारियों पर गंभीर है, उसमें कोई विलंब न हो। इसके लिए एक वर्ष की सेवानिवृत्ति बढऩे से देनदारी देने में आसानी होगी।