गोबिंदसागर झील में आइलैंड टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन के नए क्षितिज खुल रहे हैं। पर्वतों और घाटियों तक सीमित परंपरागत पर्यटन से आगे बढ़ते हुए अब प्रदेश जल पर्यटन के क्षेत्र में भी ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। गोबिंदसागर झील में शुरू हुआ हिमाचल का पहला आइलैंड टूरिज्म प्रोजेक्ट न केवल प्रदेश को एक नए अनुभव से जोड़ेगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का नया केंद्र बनेगा। गोबिंदसागर झील में चयनित चार आइलैंड्स में से तीन की टेंडर प्रक्रिया अब तक सफलतापूर्वक पूर्ण की जा चुकी है। ज्योरी पतन और धराड़सानी के बाद बुधवार को तीसरे आइलैंड-भोलू एवं ज्योर (ज्योरीपटन), तहसील झंडूत्ता—का टेंडर भी सार्वजनिक रूप से आवंटित कर दिया गया है। यह टेंडर वीरेंद्र कुमार (मित्तलघोड़ा चौकी, शिमला) को 3,15,000 रुपए की उच्चतम बोली पर प्रदान किया गया है। यह परियोजना अंडमान-निकोबार और केरल जैसे प्रसिद्ध टूरिस्ट डेस्टिनेशनों की तर्ज पर विकसित की जा रही है। इस योजना में झील के भीतर स्थित आइलैंड्स पर बोटिंग, एडवेंचर स्पोट्र्स, ईको-फ्रेंडली स्टे, सांस्कृतिक गतिविधियों, होटल, रेस्टोरेंट, डेस्टिनेशन वेडिंग, फिशिंग जोन, बोनफायर स्थल और हाइकिंग ट्रेल्स जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। साथ ही, रात्रिकालीन कार्यक्रमों में हिमाचली लोक संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति को वैश्विक मंच मिलेगा। जिला बिलासपुर में इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे बिना सरकारी बजट से कोई धन राशि खर्च किए, पूर्णत: जन-सहभागिता मॉडल पर विकसित किया गया है। उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक के नेतृत्व में यह प्रयास न केवल प्रशासनिक आत्मनिर्भरता का उदाहरण है, बल्कि यह जिला प्रशासन के लिए स्थायी आय का स्रोत भी बन रहा है। प्रशासन का आकलन है कि इस आइलैंड टूरिज्म परियोजना के माध्यम से भविष्य में वॉटर स्पोर्ट्स, एरो स्पोट्र्स और अन्य गतिविधियों से स्थानीय युवाओं को गाइडिंग, बोट ऑपरेशन, फूड सर्विस और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी के अवसर मिलेंगे। यह परियोजना जिला के भीतर स्वरोजगार की दिशा में बड़ा कदम है। बिलासपुर जिला पहले ही श्री नैना देवी रोपवे, गोबिंदसागर लेक बोटिंग, और हवाई अड्डा निर्माण जैसी योजनाओं से नभ और थल पर्यटन को मजबूती दे रहा था।