विदेशी पक्षियों की गणना करेगा वन विभाग
बिलासपुर की गोबिंदसागर झील के किनारों पर इन दिनों विदेशी पक्षियों की विभिन्न-विभिन्न प्रजातियां देखी जा रही है। प्रत्येक वर्ष जनवरी और फरवरी माह में विदेशी पक्षी हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जलाशयों किनारे यह विदेशी पक्षी पहुंचते है। ऐसे में इन पक्षियों का सारा रिकार्ड वन विभाग प्रत्येक वर्ष दर्ज करता है। वहीं, इस साल भी वन विभाग बिलासपुर गोबिंदगसार झील किनारे इन पक्षियों की गणना करेगा और इसका सारा रिकार्ड रखेगा। यह विदेशी पक्षी साईबेरिन देश से आते हैं, क्योंकि इन दिनों साईबेरिया में झील जमा होने वाली ठंड पड़ती है। साथ ही यहां पर झील और नदियां पूरी तरह से जम जाती है। सबसे अधिक यह पक्षी पौंग डैम में देखे जाते हैं, जहां पर वन विभाग की विशेष टीम इन पर पूरी नजर रखी हुए होती है। साथ ही यह भी रिकार्ड दर्ज करती है कि इस वर्ष कौन सी प्रजाति नई आई है। यहां पर प्रत्येक वर्ष बार हैडेड गूज प्रजाति पक्षियों की देखी जाती है। यह प्रजाति मंडी-भराड़ी पुल से लेकिन लुहणू मैदान के किनारे तक देखे जा रहे हैं। पक्षियों को देखने के लिए बिलासपुर की जनता भी इन किनारों पर जाती है। मध्य एशिया, साइबेरिया, चीन मंगोलिया आदि ठंडे देशों से यहां पहुंचते हैं। अगले माह तक यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है और मार्च महीने तक यह मेहमान यहां से वापस लौट जाते हैं।
विदेशी पक्षियों की सुरक्षा पर रखी जाएगी पूरी नजर
विभागीय जानकारी के अनुसार अन्य जलाशयों में भी कुछ विदेशी परिंदे पहुंच चुके हैं जो जलाशयों में अठखेलियां करते हुए देखे जा सकते हैं। इस बार विदेशी पक्षियों ने हिमाचल प्रदेश की तरफ एक माह देरी से आगमन किया है। इसका मुख्य कारण प्रदेश में बारिश व ऊपरी क्षेत्रों में बर्फबारी न होना माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि विदेशी पक्षियों की सुरक्षा पर पूरी नजर रखी जाएगी।
29 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़कर पहुंचते हैं भारत
जानकारी के अनुसार, पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां सर्दियों के मौसम में साइबेरिया, चीन, तिब्बत, कजाकिस्तान, मंगोलिया, रूस आदि जगहों से एक लंबा सफर तय करके हिमालय की ऊंची चोटियों के ऊपर से उड़ कर भारत में आते हैं। ये दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर उडऩे वाले पक्षी हैं। ये करीब 27 से 29 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ कर भारत में पहुंचते हैं। जब इनके गृह क्षेत्र में ठंड बढ़ती है और बर्फबारी शुरू होती है तो ठीक उसी समय ये दक्षिणी एशिया की तरफ प्रवास आरंभ करते हैं।