केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने 1989 के शहीदों को किया याद
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के धर्म और संस्कृति विभाग ने चीनी सरकार के खिलाफ 1989 के प्रदर्शनों में भाग लेने वाले शांतिपूर्ण तिब्बती प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए बलिदानों को सम्मानित करने के लिए एक घंटे तक चलने वाली प्रार्थना सेवा आयोजित की व 1989 में चीनी सरकार की दमनकारी और अन्यायपूर्ण नीतियों के विरोध में ल्हासा में शुरू हुए तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस की 29वीं वर्षगांठ मनाई। बता दें कि 1989 में हजारों तिब्बती चीनी सरकार द्वारा की दमनकारी और अन्यायपूर्ण नीतियों के विरोध में अपनी आवाज बुलंद करने के लिए ल्हासा की सड़कों पर उतरे थे। जवाबी कार्रवाई में चीनी अधिकारियों ने मार्शल लॉ लागू कर दिया और प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए थे। तब से सीटीए ने तिब्बत के महान उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले और कष्ट सहने वाले तिब्बती शहीदों को याद और उन्हें श्रद्धांजलि देता आ रहा है। इस मौके पर निर्वासित तिब्बत सरकार के राष्ट्रपति सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा तिब्बत के अंदर रहने वाले तिब्बतियों ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और भाषाई विरासत की रक्षा के लिए एक अटूट समर्पण का प्रदर्शन किया है। बावजूद इसके कि चीनी सरकार सख्त प्रतिबंधों और निगरानी के माध्यम से तिब्बती पहचान को मिटाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। अपनी सीमित आबादी और संसाधनों के बावजूद, दोनों पक्षों के तिब्बतियों को एक-दूसरे से शक्ति और प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए। उन्होंने कहा आज का दिन 1989 और उसके बाद के वर्षों की घटनाओं पर चिंतन करने और उन महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को पहचानने का दिन है जो हम पर हैं। कैबिनेट सचिव त्सेग्याल चुक्या द्रानी ने भी त्सुगलागखांग में सभा के समक्ष प्रार्थना सेवा के पीछे के महत्व और उद्देश्य के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया।