भाई दूज का पर्व: जोगिंद्रनगर में श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया गया
भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर आशीर्वाद देने का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। तिलक करते समय बहनों ने भाई की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना की।
दोपहर के समय, मिठाई और अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का आदान-प्रदान किया गया। घरों में उत्सव का माहौल बना हुआ था, जहाँ सभी ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। बहनों ने अपने भाइयों के लिए विशेष पकवान बनाए, जिससे भाई दूज का त्यौहार और भी खास बन गया।
*धनिया बोने की परंपरा*
भाई दूज पर्व की एक विशेष परंपरा के अनुसार, बहनें इस दिन धनिया बीजती हैं। स्थानीय मान्यता है कि भाई दूज के दिन धनिया बोने से घर में समृद्धि आती है और भाई के जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस दौरान महिलाएं खेतों में या अपने आंगन में धनिया के बीज बोते हुए नजर आईं। इस परंपरा के पीछे यह विश्वास है कि जैसे धनिया की खुशबू से वातावरण महकता है, वैसे ही उनके भाइयों का जीवन भी खुशियों से भरा रहे। बचपन से ही बहनों ने इस परंपरा को अपने परिवारों में जिंदा रखा है। अबकी बार भी, घरों में धनिया के बीज बोते समय एक विशेष उत्साह देखा गया। महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर इस कार्य को करने में जुटी रहीं और यह पर्व उनके लिए सामूहिकता और भाईचारे का प्रतीक बन गया।
*दूर रहने वाले भाइयों के लिए अनोखी परंपरा*
जिन बहनों के भाई दूर-दराज के शहरों में नौकरी करते हैं, वे अखरोट को तिलक लगाकर अपनी भावनाओं को व्यक्त करती हैं। यह एक अनोखा तरीका है दूर रहने वाले भाइयों को आशीर्वाद देने का। बहनें अखरोट को भाई का प्रतीक मानती हैं और अपनी भावनाएं उसके माध्यम से व्यक्त करती हैं। इस परंपरा के पीछे यह विश्वास है कि इस प्रकार का तिलक उनके भाई को स्वस्थ और सुरक्षित रखने में सहायक होता है, चाहे वे कितनी भी दूरी पर क्यों न हों। इस साल भी, अखरोट को तिलक लगाते समय बहनों की आँखों में एक विशेष भावुकता देखने को मिली। दूर रहने वाले भाइयों के प्रति उनकी प्यार भरी यादें और आशीर्वाद इस दिन को और भी खास बनाते हैं। भाई दूज के इस पर्व पर जोगिंद्रनगर के सभी क्षेत्रों में हर्षोल्लास का माहौल था। हर गली, हर मोड़ पर बहनें अपने भाइयों के लिए मंगलकामनाएँ करती नजर आईं। बच्चों ने भी इस अवसर पर अपने बड़े भाई-बहनों के साथ खेल-खिलौनों का आनंद लिया। स्थानीय बाजारों में भी भाई दूज की विशेष छटा देखने को मिली; मिठाइयों की दुकानें सजी हुई थीं, जहाँ लोग खरीददारी कर रहे थे। इस दिन के अवसर पर कई स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। जहाँ बहनों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर गीत गाए और नृत्य किया। यह नजारा सभी के लिए एक अद्भुत अनुभव था, जिसने भाई दूज के त्योहार को और भी मनमोहक बना दिया। भाई दूज का यह पर्व हर साल की तरह लोगों के बीच प्रेम, स्नेह और भाईचारे का संदेश फैलाने में सफल रहा। जोगिंद्रनगर की गलियों में गूंजते हंसी-मजाक और प्रेम भरे संवादों ने इस पर्व की रौनक को और बढ़ा दिया। इस प्रकार, भाई दूज ने जोगिंद्रनगर में परंपराओं को जीवित रखने के साथ-साथ सामाजिक संबंधों को भी मजबूत किया।