हिमाचल के सिरमौर में भ्रष्टाचार के आरोप में 25 पंचायत प्रतिनिधि निलंबित, 03 बर्खास्त
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पंचायत स्तर पर विकास कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। सिरमौर जिले के विभिन्न विकास खंडों से कुल 28 पंचायत प्रतिनिधियों को कार्रवाई की जद में लाया गया है। इनमें से 25 को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि 3 जन प्रतिनिधियों को बर्खास्त कर दिया गया है
सबसे ज्यादा मामले शिलाई विकास खंड से
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रतिनिधियों पर विकास कार्यों में गड़बड़ी, वन भूमि पर अवैध कब्जा, और चुनाव के दौरान झूठे हलफनामे दाखिल करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। शिलाई विकास खंड में सबसे ज्यादा 17 प्रतिनिधियों पर कार्रवाई की गई है। इसके अलावा संगड़ाह से 5, नाहन से 2, और पच्छाद, पांवटा साहिब, राजगढ़ से 1-1 प्रतिनिधि शामिल हैं।
- कोटीधिमान, काथली, हलांह, कोटी उतरऊ, नाया पंजौड़, तिलौरधार, शिलांजी, लानी बोराड़, अशयाड़ी, मिल्ला पंचायतों के प्रधान व सदस्यों पर कार्रवाई
- पिपलीवाला पंचायत के प्रधान को झूठा हलफनामा देने पर बर्खास्त
- मात्तर पंचायत के उपप्रधान को वन भूमि पर कब्जा करने के चलते पद से हटाया गया
पंचायतीराज अधिनियम की धाराओं 145 और 146 के तहत की गई इस कार्रवाई के लिए 30 मार्च 2022 से 28 जनवरी 2025 तक की जांच रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार कई पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर लाखों रुपये की अनियमितता पाई गई।
डीआरडीए के उपनिदेशक अभिषेक मित्तल ने इन निलंबनों और बर्खास्तगियों की पुष्टि करते हुए बताया कि यह कदम पंचायत व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है।