बीपीएल में धांधली रोकने, जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाने का प्रयास: निशांत
पछले कुछ दिनों में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग की तरफ से कुछ नई अधिसूचनाएं जारी हुई हैं। हालांकि, इसके आने वाले समय में दूरगामी परिणाम होंगे, लेकिन पंचायतीराज विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना से लोगों में ये भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि इन अधिसूचनाओं से पंचायत के प्रधानों व पंचायतों की शक्तियों पर सरकार ने कैंची चलाई है, जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है। सरकार ने प्रधान एवं पंचायतों की शक्तियां कम नहीं की हैं। सिर्फ गलत चीजों को रोकने के लिए सीमाएं तय की हैं। पंचायतीराज विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचनाएं के संदर्भ में खंड विकास अधिकारी नादौन निशांत शर्मा से अनंत ज्ञान ने विशेष बात की। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा बीपीएल परिवारों के चयन के लिए जारी नई अधिसूचना का मुख्य कारण बीपीएल परिवारों के चयन में सामने आ रही धांधली को रोकने व जरूरतमंद लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास है। इनके चयन के लिए प्रधान/पंचायतों की शक्तियां कम नहीं की गईं हैं। बीपीएल का चयन पहले भी पंचायत में ग्राम सभा में किया जाता था और अब भी ग्राम सभा ही करेगी। मात्र अंतर ये है कि गलत लोगों का चयन न हो और सही लोग छूट न जाए, ये बीडीओ और एसडीएम की कमेटी सुनिश्चित करेगी। पंचायतों की शक्ति पहले की तरह ही है। प्रदेश सरकार द्वारा जारी नई अधिसूचना का मुख्य उद्देश्य इस योजनाओं का असली जरूरतमंद लोगों तक लाभ पहुंचाना है एवं इस नई अधिसूचना से बीपीएल परिवारों की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त होगा। सरकार को वास्तविक गरीबों का पता चलेगा। अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के कई जिलों से आए दिन पंचायतों में भ्रष्टाचार की खबरें आती रहती हैं कि पंचायत द्वारा वास्तविक रेट से ज्यादा रेट पर सामग्री खरीदी गई है इसलिए नई अधिसूचना से इस पर भी अंकुश लगेगा एवं वेंडर का चयन पहले भी पंचायतें खुद करती थी और अब भी खुद ही करेंगी। सिर्फ फर्क इतना है कि अब ब्लॉक से वेंडर का पेनल बनेगा। अधिकार अब भी पंचायतों का ही होगा कि किस वेंडर से सामान खरीदना है। इससे कागजों में भी प्रधानों की सेफ्टी रहेगी। ब्लॉक में रेट फाइनल करने वाली कमेटी में भी पंचायत प्रधान शामिल होंगे। इस प्रकिया से निर्माण सामग्री की दरों पर कंट्रोल होने से राज्य का भी काफी पैसा बचेगा व कम दरों में काम हो जाएंगे। साथ ही पंचायतों में भ्रष्टाचार पर भी बहुत अंकुश लगेगा। पंचायतों की संपत्तियों को किराये पर देने बारे अधिकारी ने बताया कि कई जगह शिकायतें थी कि मुख्य बाजारों में पंचायतों की दुकानों को औने-पौने दामों पर भाई-भतीजावाद के तहत किराये पर दिया हुआ है। कई जगह तो 20- 30 सालों से दे रखी हैं। नई अधिसूचना से इसमें भी सुधार होगा क्योंकि प्रचलित बाजार दरों पर किराया होने से सरकार व पंचायतों की आय में वृद्धि होगी। पंचायतें आत्मनिर्भर बनेंगी। सरकार का भी काफी पैसा बचेगा।