पंचायत प्रतिनिधियों को जलील करना बंद करें सरकार : विजेंद्र चंदेल
हिमाचल प्रदेश पंचायती राज महासंघ ने पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह से मांग की है कि पंचायती राज के प्रतिनिधियों की जो मांगे आपके समक्ष प्रतिनिधिमंडल द्वारा रखी गई थी उन मांगों में कुछ मांगे आपने प्राथमिकता के आधार पर करने को कहा है। जो मांगें अभी तक नहीं मानी गई। हिमाचल प्रदेश पंचायती राज महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र चंदेल ने कहा कि पंचायती राज मंत्री को जो मांग पत्र उन्होंने दिया था उसमें मांग की गई थी कि सरकार व विभाग के द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों के ऊपर जो-जो इल्जाम थोपे जा रहे हैं, उन पर सरकार तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाए तथा व्यक्तिगत रूप से पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग करें। विधानसभा चुनाव व उप चुनाव में पंचायत प्रतिनिधि आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए थे। जैसा कि कहा जा रहा है कि बीपीएल सूची तैयार करने में पंचायत प्रतिनिधियों का कोई भी हस्तक्षेप नहीं रहेगा। यह तो पहले से ही होता आया है कि इसका चयन ग्राम सभा द्वारा किया जाता है न कि पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा, यह आरोप भी पंचायत प्रतिनिधियों पर गलत लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खंड विकास अधिकारी को पंचायती राज निदेशक द्वारा पत्र जारी किया गया है कि जिसमें दर्शाया गया है कि पंचायतों में विकास कार्यों को करवाने के लिए जो सामग्री निविदा प्रक्रिया के माध्यम से पंचायतों द्वारा की जाती थी वह अब विकास खंड के द्वारा की जा रही है जो बिल्कुल गलत है। हिमाचल प्रदेश में हजारों पंचायतें हैं, प्रत्येक पंचायतों में अखबारों के माध्यम से टेंडर नोटिस का विज्ञापन दिया जाता है उसके उपरांत पंजीकृत विक्रेता जीएसटी सहित अपनी-अपनी निविदा पंचायतों में नियमानुसार जमा करवाते हैं। उसके उपरान्त पंचायत कमेटी उन निविदाओं को सबके सामने खोलती है तथा नियमानुसार सबसे कम रेट वाली निविदा को मान्य किया जाता है। प्रत्येक पंचायतों में अलग-अलग ठेकेदारों के टेंडर लगते हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा ठेकेदारों को भी गाड़ियों सहित रोजगार मिलता है। पंचायतों को भी अलग-अलग ठेकेदारों से विकास कार्य करवाने के लिए समय अनुसार सामग्री उपलब्ध होती है। सरकार इसमें भी छोटे ठेकेदारों के अधिकारों को भी न छीनने दें।