चौहार और छोटाभंगाल में आज मनाया जाएगा बैसाखी का पर्व
जिला मंडी की चौहार व छोटाभंगाल घाटी में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बैसाखी का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। चौहार घाटी तथा छोटाभंगाल घाटी में 12 अप्रैल की शाम से बैसाखी के पावन त्यौहार का आगाज हो जाएगा। बैसाखी के त्यौहार की खुशी पर दोनों घाटियों के लोग 12 अप्रैल की शाम को कई तरह के स्वादिष्ट पकवान को बनाकर अपने सगे संबंधियों के साथ मिल बैठकर उन स्वादिष्ट पकवानों को खाने का खूब आनंद लेंगे। 13 अप्रैल की सुबह घाटियों के दुर्गम गांवों के लोग सुबह उठने के बाद सबसे पहले नहा धोकर अपने-अपने ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करेंगे। उसके बाद दिनभर अपने–अपने सगे संबंधियों तथा पड़ोसियों के साथ मिल बैठकर स्वादिष्ट पकवानों का भरपूर आनंद उठाएंगे। स्वादिष्ट व्यंजनों के बनाने का सिलसिला बैशाखी के सक्रांति की पूर्व संध्या से ही शुरू कर दिया जाएगा। बैशाखी के इस पावन पर्व के उपलक्ष्य पर दोनों घाटियों के कई गांवों में स्थानीय लोगों द्वारा देव नारायण, देव गहरी, माता फुगणी, देव पशाकोट आदि के नाम से देव जातरों का आयोजन भी किया जाएगा। इस पावन पर्व के दौरान दुर्गम घाटियों में कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करने वाले समस्त लोग जीवन की सारी कठिनाइयों को भुलाकर प्रसन्नतापूर्वक चार से पांच दिनों तक बैशाखी इस पावन पर्व को मनाते हैं। इन दुर्गम घाटियों के लोग आज भी पुरानी संस्कृति विरासत कायम ही रखे हुए हैं। चौहार घाटी के झरवाड़ गावों से संबंध रखने वाले समाजसेवी इंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि दुर्गम गांवों में कठिन जीवन यापन करने के बाद भी लोग अपने लोकल तथा बड़े–बड़े त्यौहारों को मनाना नहीं भूलते हैं। बैसाखी का त्यौहार ही नहीं बल्कि लोहड़ी, शाहडणू, सायर, सराला, पटघुआड़ जैसे लोकल त्यौहारों के साथ–साथ होली, आजादी का पर्व, महाशिवरात्रि आदि बड़े–बड़े त्यौहारों को भी लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। घाटियों में मनाए जाने वाले इन सभी त्यौहारों में आने वाले मेहमानों की खूब खातिरदारी की जाती है। बैशाखी का यह पावन त्यौहार घाटियों के दुर्गम गांवों में चार से पांच दिन तक चलता है।