औषधीय गुणों से भरपूर कचनार करेगा ग्रामीणों की आर्थिकी मजबूत, महिलाओं ने आचार बना कर बाजार में उतारा
कभी पहाड़ी व्यंजनों के लिए मशहूर कचनार अब बाजारों में भी उपलब्ध होने वाला है। जंगलों और घरों के आसपास अपने आप उगने वाला कचनार के पेड़ अब किसानों और ग्रामीणों की आर्थिकी का सहारा बनने जा रहा है। महंगाई के युग में जब सरकारें टैक्स पर टैक्स लगा रही है, तो कचनार ग्रामीणों के लिए आय का साधन बनने वाला है। जिलेभर में इसके लिए अलग अलग संस्थाओं द्वारा महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। गंभीर बीमारियों के निवारण के लिए उपयोगी कचनार अब आचार के रूप में पूरा साल उपलब्ध होने वाला है। औषधीय गुणों से भरपूर कचनार मंडी के लोकल बाजार में खूब बिक रहा है। इन दिनों मंडी के लोग इसके व्यंजनों का भरपूर लुत्फ उठा रहे हैं। बता दें कि कचनार न केवल स्वादिष्ठ खाद्य पदार्थ है बल्कि लिपोमा, गांठ आदि के निवारण में भी उपयोग में लाया जाता है। इसके साथ ही यह त्वचा रोग, बवासीर व पेट के रोगों के लिए सुलभ व सस्ती औषधि है। कचनार रोगाणुरोधी होने के साथ एंटी ट्यूमर भी है।
लघु उद्योगों से जुड़ी महिलाएं
धर्मपुर क्षेत्र में सिद्धपुर पंचायत के सकोह गांव की महिलाओं ने नई शुरुआत करते हुए कचनार का आचार डालने का काम शुरू किया है। डॉक्टर हरदयाल सिंह ने बताया कि अब एफपीओ धर्मपुर ने पहाड़ी रत्न ब्रांड नाम से अचार बिक्री करने का निर्णय लिया है और उसके लिए डिब्बे ब्रांड पैकेजिंग सामग्री के साथ प्रिंट करवाए हैं। एफपीओ के सचिव भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सिद्धपुर के अलावा जोढन, बरोटी और संधोल में ऐसे लघु उद्योग स्थापित किए जाएंगे, जिनमें स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले फलों पर आधारित प्रोसेसिंग कार्य किया जाएगा।
नई पीढ़ी दोबारा लगी अपनाने
कचनार के पेड़ की छाल से लेकर इसके फल तक औषधी के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं। वर्तमान में बढ़ते कंक्रीट जंगलों के कारण दुर्लभ होते कचनार के पेड़ों के महत्व को युवा पीढ़ी फिर से अपनाने लगी है। मंडी जिला के जोगिंद्रनगर की जलपेहड़ पंचायत के प्राचीन मंदिर में पहली बार आयुष विभाग के माध्यम से औषधीय पौधों को लगाया गया है। धर्मपुर, कमलाह, लडभड़ोल, टिक्कन और उरला वन क्षेत्र में भी कचनार के पौधे रोपे गए हैं। इस कार्य में वन विभाग के साथ साथ युवक मंडल और पाचन तंत्र में करता है सुधार
कचनार कलियों की सब्जी उपयोग में लाने से पेट और मुंह की दुर्गंध दूर होती है। थायराइड की समस्या से राहत मिलती है और पाचन तंत्र में सुधार आता है। कचनार एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल है। इसके साथ ही जिन्ह दुधारू पशुओं को कचनार का घास खिलाया जाता है, उनके दूध का सेवन करने से शरीर में किसी भी प्रकार की गांठ नहीं बनती है।
कचनार औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके सेवन से शरीर में अनावश्यक गांठे नष्ट होती हैं। यह उदर रोगों से लेकर त्वचा रोगों में भी लाभकारी है।
. डॉ. तारा देवी सेन, अध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग, राजकीय वल्लभ महाविद्यालय मंडी।