बसाल कॉलोनी में बने मलबे के डंपिंग ग्राउंड, हिमुडा के न्यूनतम हस्तक्षेप से कॉलोनी में रहने वाले लोगों की बढ़ी दिक्कते
नगर निगम सोलन के दायरे में आ चुकी हिमुडा की बसाल कॉलोनी के बाशिंदों को मूलभूत सुविधाओं की कमी का सामना करना पड रहा है। हिमुडा की उपेक्षा से यहां पर पार्किंग, पेयजल किल्लत और बिजली समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जबकि यहां आवंटित आवासीय प्लॉट मालिकों को बुनियादी ढांचे के साथ एक आधुनिक आवासीय क्षेत्र के रूप विकसित करने का आश्वासन दिया था, बावजूद इसके कॉलोनी अब कई मुद्दों से ग्रस्त है, जिसमें अव्यवस्थित हरित क्षेत्र और अवैध निर्माण शामिल हैं। किसी भी आवासीय कॉलोनी में हरित क्षेत्र (ग्रीन लैंड) जिन्हें मूल रूप से टाउनशिप के रूप में नामित किया जाता है, पर बसाल में अब हिमुडा के न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ निर्माण मलबे के डंपिंग ग्राउंड में बदल गए हैं। कॉलोनी की समस्याओं को लंबे अरसे से सक्रिय रूप से उठाने वाले स्थानीय निवासी विवेक शर्मा ने कहा कि जो क्षेत्र मनोरंजन और हरियाली के लिए थे, लेकिन अब वे एक आंखों में खटकने वाली चीज बन गए हैं। शर्मा का कहना है कि कॉलोनी के चारों तरफ बड़ी समस्या बाड़बंदी की कमी है, जिसने अनधिकृत अतिक्रमण और बिना मंजूरी के निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। शर्मा ने कहा कि बिल्डर खुलेआम फर्श बेच रहे हैं जो कि आवासीय लेआउट मानदंडों का उल्लंघन है और हिमुडा मूकदर्शक बना हुआ है। हाल ही कुछ प्रभावशाली लोगों ने कथित तौर पर आंतरिक सड़कों पर अनधिकृत स्पीड ब्रेकर का निर्माण किया। हालांकि शिकायतों के बाद निर्माण को अंतत: रोक दिया गया था, लेकिन स्पीड ब्रेकर पहले ही बनाए जा चुके हैं जो वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। हिमुडा के पास उन्हें हटाने के लिए न तो स्टाफ है और न ही संसाधन। विवेक शर्मा ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर में की है। मामला उजागर होने के बाद हिमुडा के मुख्य अभियंता सुरिंदर वशिष्ठ ने फील्ड स्टाफ से रिपोर्ट मांगी है।
कॉलोनीवासियों में बढ़ रही निराशा
500 बीघा में फैली यह कॉलोनी अपर्याप्त पार्किंग की समस्या से भी जूझ रही है, खास तौर पर इसकी ऊंचाई के कारण। सामुदायिक हॉल, स्वास्थ्य केंद्र और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं के शुरुआती वादों के बावजूद, इसकी स्थापना के दशकों बाद भी ऐसा कोई बुनियादी ढांचा नहीं बन पाया है। कॉलोनी के रखरखाव का ज्मिा सोलन नगर निगम को सौंपने के हिमुडा के प्रयास भी सफल नहीं हुए हैं। कथित तौर पर नगर निगम ने शर्तों को पूरा न किए जाने और अधूरे विकास के कारण प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। निवासियों की परेशानी में लगातार बिजली कटौती भी शामिल है, खास तौर पर तूफान के दौरान, जिससे एक सुनियोजित आवासीय क्षेत्र बनने के बावजूद उनकी निराशा बढ़ रही है।