सिविल अस्पताल जोगिंद्रनगर में डॉक्टरों की भारी कमी से मरीज बेहाल
उपमंडल मुख्यालय जोगिंद्रनगर का सिविल अस्पताल एक बार फिर डॉक्टरों की कमी के चलते चर्चा में है। शुक्रवार को अस्पताल की ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे दर्जनों मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ा। चिकित्सकों के अभाव में नियमित जांच और परामर्श नहीं मिल पाया, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जानकारी के अनुसार, अस्पताल में कई विशेषज्ञ और सामान्य चिकित्सकों के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं। वर्तमान में जो डॉक्टर तैनात हैं, वे भी अत्यधिक कार्यभार के कारण सभी मरीजों को समय पर देख पाने में असमर्थ हैं। शुक्रवार को तो स्थिति और अधिक गंभीर रही, जब अधिकांश विभागों में डॉक्टर ही मौजूद नहीं थे। परिणामस्वरूप मरीजों को घंटों इंतजार करने के बाद भी निराश लौटना पड़ा। स्थानीय नागरिक रमेश कुमार ने बताया, "हम सुबह 8 बजे से लाइन में खड़े थे, लेकिन 12 बजे तक कोई डॉक्टर नहीं आया। मेरी मां की तबीयत खराब थी, लेकिन बिना इलाज के वापस लौटना पड़ा।" अन्य लोगों ने भी सरकार से अपील करते हुए कहा कि यह स्थिति केवल एक दिन की नहीं है, बल्कि महीनों से जारी है। अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ समेत कई महत्वपूर्ण विभागों में डॉक्टरों की कमी महसूस की जा रही है। नगर परिषद की पार्षद शिखा ने इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, "सिविल अस्पताल में लगातार डॉक्टरों की अनुपलब्धता एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। लोगों की जिंदगी के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। सरकार को शीघ्रता से सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति करनी चाहिए।" स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र सुधार नहीं हुआ तो वे जन आंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे। स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार के लिए यह एक चेतावनी है कि ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर ठोस कदम उठाए जाएं, वरना जन असंतोष और गहराता जाएगा।