गोबिंदसागर झील में बढ़ती अवैध डंपिंग पर सख्ती
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को अब बिलासपुर जिले में अपने अधीन आने वाले क्षेत्र की पूरी जिम्मेदारी खुद निभानी होगी। प्रशासन द्वारा हाल ही में आयोजित एक अहम बैठक में यह फैसला लिया गया है कि बीबीएमबी को जिले में न केवल अपना कार्यालय स्थापित करना होगा, बल्कि क्षेत्र की निगरानी, अवैध डंपिंग पर नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी तमाम गतिविधियों की निगरानी भी स्वयं करनी होगी। यह निर्णय गोबिंदसागर झील में लगातार सामने आ रहे अवैध डंपिंग के मामलों के मद्देनजर लिया गया है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील इस झील में अवैध निर्माण मलबा, प्लास्टिक व अन्य कचरे को फेंकने की घटनाएं बीते कुछ समय से तेजी से बढ़ी हैं, जिससे झील की जैवविविधता और जल गुणवत्ता पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, बीबीएमबी को बिलासपुर में स्थायी कार्यालय स्थापित करना होगा, जहां से वह अपने अधीनस्थ क्षेत्रों की निगरानी करेगा। इसके अलावा, पेट्रोलिंग टीम की तैनाती, निगरानी उपकरणों की व्यवस्था और अवैध डंपिंग पर त्वरित कार्रवाई के लिए एक विशेष निगरानी टीम का भी गठन किया जाएगा। इस विषय पर जानकारी देते हुए पवन शर्मा, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी बिलासपुर ने पुष्टि की कि अब बीबीएमबी को अपने क्षेत्र में होने वाली हर पर्यावरणीय गतिविधि पर नजर रखनी होगी। उन्होंने कहा कि गोबिंदसागर झील और उसके आसपास का काफी क्षेत्र बीबीएमबी के अधीन आता है। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि वह न केवल अपने क्षेत्र की सुरक्षा करे, बल्कि अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए एक कार्य योजना तैयार करे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्टों के अनुसार, झील में प्लास्टिक कचरा, निर्माण मलबा और घरेलू अपशिष्ट लगातार डाला जा रहा है, जिससे जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है और जलीय जीवों का जीवन संकट में आ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो इसका असर न केवल पर्यावरण पर पड़ेगा, बल्कि पर्यटन और मत्स्य पालन पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। प्रशासन द्वारा बीबीएमबी को निर्देश दिया गया है कि वह शीघ्र ही कार्यालय स्थापना की प्रक्रिया शुरू करे और अगले 30 दिनों के भीतर निगरानी तंत्र को सक्रिय करे। इसके अलावा, बीबीएमबी को समय-समय पर पर्यावरणीय रिपोर्ट प्रशासन को सौंपनी होगी, जिससे कार्य की पारदर्शिता बनी रहे।
क्या कहते हैं स्थानीय निवासी और पर्यावरण प्रेमी
स्थानीय निवासियों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि गोबिंदसागर झील हिमाचल प्रदेश की धरोहर है और इसके संरक्षण की ज्मिेदारी सभी की है, लेकिन बीबीएमबी को इसकी अग्रिम पंक्ति में खड़ा होना ही होगा। वहीं, यह कदम प्रशासन की उस बदलती नीति की ओर इशारा करता है जिसमें अब सिर्फ निर्देश देने तक सीमित न रहकर ज्मिेदार एजेंसियों से प्रत्यक्ष कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है। यदि बीबीएमबी समय रहते प्रभावी कार्य योजना तैयार करता है और उसे लागू करता है, तो गोबिंदसागर झील को एक बार फिर साफ, स्वच्छ और जीवंत बनाए रखने की दिशा में यह बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है।