मंडी जिला में प्राकृतिक खेती का आदर्श गांव बनकर उभरा कधार
उपमंडल जोगिंद्रनगर और पधर के छोर पर बसा कधार गांव में 14 परिवार रहते हैं। इस गांव की एक खास बात है कि यहां प्रत्येक परिवार प्राकृतिक खेती विधि को अपना चुका है और मंडी जिला में प्राकृतिक खेती का आदर्श गांव बनकर उभरा है। कुछ वर्ष पूर्व तक यहां के लोग भी रासायनिक खेती ही कर रहे थे। इसी बीच कधार गांव की महिलाओं ने प्राकृतिक खेती विधि की बारीकियां सीखीं। इससे प्रभावित होकर पूरे गांव ने प्राकृतिक खेती शुरू की। गांव की रजनी देवी बताती हैं कि चार वर्ष पूर्व उन्होंने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया। पहले साल सभी परिवारों ने इस विधि को प्रयोग के तौर पर लिया और उन्हें अच्छे परिणाम भी मिले। इससे उनका हौसला बढ़ा और उन्होंने खेती की इस विधि को व्यापक तौर पर बढ़ावा दिया। आज हमें गर्व है कि कधार प्राकृतिक खेती में आदर्श गांव बनकर उभरा है। वर्तमान में गांव के किसान आठ हेक्टेयर से अधिक भूमि पर प्राकृतिक खेती विधि से गेहूं, जौ, मक्की, मटर, आलू, सोयाबीन, राजमाह तथा कोदरा (रागी) जैसी पारंपरिक फसल बीजते हैं। यह खेती उनके लिए कम खर्च वाली सिद्ध हुई है, क्योंकि इसके लिए केवल गाय का गोबर व गोमूत्र मुख्य घटक हैं। गांव में सबके पास देसी गाय होने से उन्हें यह मुफ्त में ही प्राप्त हो जाता है। प्राकृतिक खेती से उगाई मक्की व गेहूं के समर्थन मूल्य में प्रदेश सरकार द्वारा की गई बढ़ोतरी से ग्रामीण खुश हैं। रजनी देवी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के लिए प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मक्की का खरीद मूल्य 40 रुपए प्रति किलोग्राम तथा गेहूं का 60 रुपए प्रति किलो होने से किसानों को लाभ मिलेगा।
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प्राकृतिक खेती से जुड़े 3,376 किसान
आत्मा परियोजना के खंड तकनीकी प्रबंधक (बी.टी.एम.) द्रंग, ललित कुमार ने बताया कि कधार गांव को प्राकृतिक खेती आदर्श गांव घोषित किया गया है। वर्तमान में द्रंग विकास खंड के अंतर्गत लगभग 3,376 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया है। सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के दृष्टिगत कई प्रोत्साहन किसानों को प्रदान किए जा रहे हैं। देसी गाय खरीदने, गाय का शैड बनाने एवं प्लास्टिक का ड्रम खरीदने के लिए सरकार सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाने पर किसानों को उपदान मुहैया करवा रही है। साथ ही गेहूं, मटर, सोयाबीन, माह, कोदरा तथा कांगनी के बीज भी मुहैया करवा रहे हैं।
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डेढ़ हजार से अधिक लाभार्थियों को 22 लाख रुपए का उपदान
प्लास्टिक ड्रम पर 75 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जा रही है और क्षेत्र में अभी तक लगभग 1500 लाभार्थियों को लगभग 13 लाख 35 हजार रुपए का उपदान दिया जा चुका है। गोशाला फर्श बनाने के लिए 8 हजार रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है। अभी तक 54 लाभार्थियों को इसके तहत लगभग 4 लाख 32 हजार रुपए की अनुदान राशि दी जा चुकी है। इसी प्रकार संसाधन भंडार बढ़ाने के लिए 10 हजार से 50 हजार रुपए तक अनुदान राशि दी जाती है। देसी गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान राशि दी जाती है। क्षेत्र में 17 लाभार्थियों को अभी तक लगभग 4 लाख 25 हजार रुपए इस मद में प्रदान किए जा चुके हैं।
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20 संसाधन भंडार किए स्थापित
क्षेत्र में जीवामृत, घन जीवामृत एवं बीजामृत उपलब्ध करवाने के लिए 20 संसाधन भंडार स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से किसान पांच रुपए प्रति किलोग्राम देसी गाय का गोबर, दो रुपए प्रति लीटर जीवामृत, 15 रुपए प्रति लीटर घन जीवामृत तथा गोमूत्र आठ रुपए प्रति लीटर की दर से प्राप्त कर सकते हैं। ग्रामीणों की कड़ी मेहनत एवं प्रदेश सरकार के प्रोत्साहन से कधार के इन किसानों ने प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।