टकारला में आवारा कुत्तों का आतंक
अंब उपमंडल की ग्राम पंचायत टकारला में इनदिनों आवारा कुत्तों का आतंक लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि ये कुत्ते झुंड बनाकर गलियों और सड़कों पर घूमते रहते हैं, जिससे राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग अब अपने बच्चों को अकेले स्कूल भेजने से भी कतरा रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार, आवारा कुत्ते न सिर्फ डर फैलाते हैं, बल्कि कभी-कभी पालतू जानवरों पर भी हमला कर देते हैं। हालही में एक परिवार की पालतू बकरी को इन कुत्तों ने निशाना बना लिया, जिससे लोगों में भय का माहौल और गहरा गया है। बच्चों को स्कूल छोडऩे और लाने की जिम्मेदारी अब अभिभावकों ने खुद ले ली है, क्योंकि कुत्तों के हमले का डर हर समय बना रहता है। स्थानीय लोगों ने इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासन से गुहार लगाई है, लेकिन प्रशासन ने आजदिन तक कोई कार्रवाई नहीं की है। उपप्रधान राजीव ने बताया कि पंचायत के पास न तो कोई साधन है और न ही कोई व्यवस्था, जिससे इन आवारा कुत्तों को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस विषय में संबंधित विभाग को सूचित किया गया है और 1100 नंबर पर भी शिकायत दर्ज करवाई गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। गांववासियों की मांग है कि जल्द से जल्द आवारा कुत्तों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया जाए, ताकि लोगों को राहत मिल सके। साथ ही, प्रशासन को इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए यदि यही हाल रहा तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने जल्द कोई कार्रवाई नहीं की तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। वेटरनरी डॉक्टर चूरूडू़ गोपाल कृष्ण का कहना है कि लोगों की शिकायत आई थी, लेकिन हमारे पास आवारा कुतों को पकडऩे के लिए फील्ड स्टाफ नहीं है। हमने लोगों को बताया था कि जब आप बोलेंगे, हम टकारला में एक कैंप लगा देंगे और आवारा कुतों की नसबंदी कर देंगे। हमने कुछ दिन चूरूडू़ में भी नसबंदी कैंप लगाया था, जिसमें हंबोली, चूरूडू, दीयाड़ा में बहुत कुतों की नसबंदी की गई।