'अज मथुरा दे बिच अवतार हो गया शाम निका जेहा' भजन पर झूम उठा पंडाल
उपमंडल बंगाणा के हटली सुल्तानू क्षेत्र में उस समय पूरा पंडाल झूम उठा, जब श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग आया। कथा व्यास के रूप में प्रसिद्ध कथा व्यास आचार्य डॉ. सुमन शर्मा ने श्रीकृष्ण जन्म की महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया। श्रीमद् भागवत कथा का माहौल जैसे-जैसे श्रीकृष्ण जन्म के करीब आता गया, भक्तों की आंखों में श्रद्धा और उत्साह का मिश्रण देखा गया। जैसे ही कथा व्यास आचार्य डॉ. सुमन शर्मा ने श्रीकृष्ण के जन्म का वर्णन शुरू किया, पूरे पंडाल में उल्लास की लहर दौड़ गई। जय-जयकार के नारों से वातावरण गूंज उठा, नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की। आचार्य डॉ. सुमन शर्मा ने कथा के माध्यम से बताया कि किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने कारागार में जन्म लिया। उन्होंने कहा देवकी और वासुदेव का विवाह होने के बाद जब उनकी बिदाई हो रही थी, तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी की आठवीं संतान कंस का अंत करेगी। इस डर से कंस ने उन्हें तुरंत बंदी बना लिया और एक-एक करके उनके छह पुत्रों की हत्या कर दी। उन्होंने कहा सातवीं संतान बलराम जी थे, जिन्हें योगमाया ने रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया और आठवें पुत्र के रूप में स्वयं भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण जी के रूप में जन्म लिया। उस समय कारागार में दिव्य प्रकाश फैल गया और भगवान ने देवकी-वासुदेव को अपने अष्टभुज रूप में दर्शन दिए। उन्होंने कहा कि मैं वही हूं, जो त्रेता में राम था, द्वापर में कृष्ण हूं और युग-युगों तक धर्म की रक्षा के लिए आता रहूंगा। कथा विराम के बाद भंडारे का प्रसाद भी वितरण किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
श्रीकृष्ण की झांकी से श्रद्धालुओं की आंखें हुईं नम
श्रीमद् भागवत कथा के दौरान जैसे ही श्रीकृष्ण जन्म का दृश्य प्रस्तुत किया गया, उसी क्षण आयोजन स्थल में भगवान श्रीकृष्ण की झांकी प्रस्तुत की गई। एक बालक को नटवर नागर के रूप में सजाया गया, जिसे देख भक्तों की आंखें नम हो गईं। पंडाल के हर कोने से भजन-कीर्तन की स्वर लहरियां गूंजने लगीं। श्रद्धालु भावविभोर होकर नाच उठे। आयोजन स्थल को वृंदावन की गलियों की तरह सजाया गया था। जगह-जगह फूलों की मालाओं, राधा-कृष्ण की झांकियों और दीयों से साज-सज्जा की गई थी। आयोजनकर्ता विवेकशील शर्मा ने कहा यह आयोजन हमारे पिता स्वर्गीय रामेश्वर दास शर्मा को श्रद्धांजलि स्वरूप है। उन्होंने बताया कि यह श्रीमद्भागवत कथा सात दिवसीय है और इसमें प्रतिदिन श्रीकृष्ण लीला के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा। कथा में प्रतिदिन भजन संध्या, झांकी दर्शन और प्रसाद वितरण भी किया जाएगा। देर रात तक भक्ति और प्रेम का यह प्रवाह थमने का नाम नहीं ले रहा था। पूरे कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों ने पूरे मनोयोग से भाग लिया। लोगों ने कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से न केवल सामाजिक एकता बढ़ती है, बल्कि बच्चों को भी अपने धार्मिक संस्कारों की जानकारी मिलती है। हटली सुल्तानू में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि भक्ति, समर्पण और सामूहिक सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण भी बना।