बेमौसमी सब्जियां उगाकर बदली तकदीर, मेहनत और कृषि विभाग के सहयोग एवं परामर्श ने साधा लक्ष्य
कांगड़ा जिला के दुर्गम क्षेत्र भंगाल के लोगों ने गत लगभग पंद्रह वर्षों से बेमौसमी सब्जियां उगाकर अपनी तकदीर बदल डाली है। प्राप्त जानकारी के अनुसार छोटाभंगाल क्षेत्र में लगभग 2700 हेक्टेयर भूमि ही कृषि योग्य है। सरकार की सहायता किसानों की मेहनत और कृषि विभाग के सहयोग एवं परामर्श से सभी प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग से यहां बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में बेहतरीन कार्य हुआ है। परंपरागत खेतीबाड़ी से 4 से 5 हजार रुपए प्रति कनाल कमाने वाले यहां के किसान बेमौसमी सब्जी का उत्पादन कर 20 से 25 हजार रुपए प्रति कनाल तक कमा रहे हैं। इस क्षेत्र के किसानों ने अपनी परंपरागत खेतीबाड़ी से हटकर नकदी और बेमौसमी सब्जी का उत्पादन कर आर्थिकी को मजबूत किया है। यहां लगभग 700 हेक्टेयर क्षेत्र में बंद गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली, मूली और धनिया का उत्पादन हो रहा है। इस छोटी सी घाटी में लगभग 7000 टन बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन हो रहा है, जिससे घाटी के किसानों को लगभग 11 करोड़ रुपए की आय प्राप्त हो रही है। किसानों को अपने उत्पादनों को बेचने के लिए भटकना न पड़े, इसके लिए सरकार ने घाटी के केंद्र स्थल धरमान नाला में ही सब्जी मंडी स्थापित कर रखी है। इसके अतिरिक्त किसान अपने उत्पाद सीधे प्रदेश के अन्य भागों के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली आदि क्षेत्रों में अच्छे भाव पर बेच रहे हैं। यहां के प्रगतिशील किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि का भी प्रशिक्षण दिया गया है। कोठी-कोहड़ के रूप लाल और बड़ाग्रां के जसवंत सिंह तथा रूप लाल यहां के लोगों को प्राकृतिक खेती के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं।
आर्थिकी को सुदृढ़ करने के प्रयास
बैजनाथ में स्थित कृषि विभाग की एस एमएस रेणू शर्मा ने बताया कि यहां के किसानों को प्रति वर्ष ही आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया जा रहा और कृषि विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं का लाभ एवं जानकारी किसानों को दी जा रही है। कृषि विभाग द्वारा यहां नाबार्ड की सहायता से 2 करोड़ से एकीकृत जलागम परियोजना के तहत ग्राम पंचायत कोठी कोहड़, बड़ा ग्रां, घरमान, मुल्थान और लुआई, स्वाड़, पोलिंग आदि में स्प्रींकलर सिंचाई सुविधा आरंभ की गई है, जिससे यहां के किसानों को सिंचाई आदि की सुविधा उपलब्ध होने से सब्जी उत्पादन में अच्छी वृद्धि हुई है। इसके अलावा किसानों को उन्नत शंकर किस्म के बीज अनुदान पर उपलब्ध करवाने के साथ -साथ नकदी फसलों को अधीनस्थ क्षेत्र को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।
समय समय पर दिया जाता है प्रशिक्षण
रेणू शर्मा ने बताया कि विभाग समय-समय पर किसानों के लिए प्रशिक्षण एवं कृषि भ्रमण कार्यक्रमों का आयोजन करता है। यहां के किसानों को बंद एवं फूल गोभी की पनीरी उगाने के लिए 80 प्रतिशत अनुदान दिया गया है। इसके अलावा आतमा परियोजना के तहत महिलाओं को भी सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है और महिलाओं के कृषक समूह बनाकर यहां की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।