प्रदूषण फैला रहे एसीसी सीमेंट प्लांट पर कसेगा शिकंजा
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बरमाणा में स्थित एसीसी सीमेंट प्लांट एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला फैक्टरी से निकलने वाले धूल-धुएं और प्रदूषण का है, जो स्थानीय लोगों के लिए गंभीर समस्या बन चुका है। खासकर प्लांट के साथ सटे घरों में रहने वाले लोग धूल से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। अब इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लांट प्रबंधन को सख्त निर्देश जारी किए हैं और कहा है कि वे अक्तूबर माह तक 15 करोड़ रुपए की लागत से अत्याधुनिक ऑटोमेटिक क्लिंकर लोडिंग मशीन स्थापित करें। बता दें कि बरमाणा निवासी कश्मीर सिंह ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शिकायत दी थी कि एसीसी प्लांट से निकलने वाली धूल और कणों के कारण उनका घर प्रदूषण की चपेट में आ गया है। खासकर क्लिंकर लोडिंग और अनलोडिंग के दौरान भारी मात्रा में धूल उठती है, जो उनके घर के भीतर तक पहुंच जाती है। कश्मीर की इस शिकायत के बाद मार्च माह में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक टीम ने प्लांट का निरीक्षण किया। निरीक्षण में यह बात सामने आई कि जब क्लींकर को जेसीबी मशीन से ट्रकों में भरा जाता है, तो उससे काफी मात्रा में धूल उड़ती है जो पास के रिहायशी इलाकों तक पहुंच जाती है। बोर्ड ने प्लांट प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि वे आटोमेटिक क्लिंकर लोडिंग मशीन लगाएं। यह मशीन ट्रकों में क्लिंकर भरने के पुराने तरीके को पूरी तरह बदल देगी। अब तक जहां जेसीबी से क्लिंकर भरने पर धूल उड़ा करती थी, वहीं अब यह प्रक्रिया पूरी तरह बंद डिब्बों के जरिए की जाएगी। मशीन से एक विशेष बॉक्स निकलेगा, जिसमें क्लींकर भरकर सीधे ट्रक में डाला जाएगा। इसी तरह अनलोडिंग भी बिना धूल के की जाएगी। इससे आसपास के वातावरण में उडऩे वाली धूल पर लगाम लगेगी। आपको बता दे कि प्रदूषण को और कम करने के लिए बोर्ड ने प्लांट के मुख्य गेट पर वाटर स्प्रिंकलर सिस्टम भी स्थापित करवा दिया है। अब जब भी कोई ट्रक प्लांट से बाहर निकलेगा, तो उसके टायरों पर पानी की बारीक फुहारें छोड़ी जाएंगी, जिससे टायरों में जमी धूल धुल जाएगी। इसके साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्लांट के बाहर और शिकायतकर्ता के घर के पास एयर क्वालिटी इंडेक्स मापक यंत्र लगाया जाएगा। यह उपकरण लगातार हवा की गुणवत्ता की निगरानी करेगा। विशेषज्ञों की टीम समय-समय पर इन मापदंडों की जांच करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि प्लांट से अब धूल और प्रदूषण बाहर न निकले। अब देखना यह होगा कि कंपनी समयबद्ध तरीके से इन निर्देशों का पालन करती है या नहीं, और क्या वास्तव में प्रदूषण में कमी आती है या यह केवल एक और औपचारिकता बनकर रह जाता है।
प्रबंधन की सहमति और आश्वासन
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी पवन शर्मा ने कहा कि एसीसी सीमेंट उद्योग प्रबंधन को 15 करोड़ रुपए की लागत से आटोमेटिक क्लिंकर लोडिंग मशीन स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने भी अक्तूबर माह तक इसे स्थापित करने की हामी भर दी है। इससे प्लांट में प्रदूषण कम हो जाएगा।
स्थानीय लोगों को राहत की उ्मीद
बरमाणा के निवासियों को अब उ्मीद है कि यह तकनीकी सुधार केवल कागजों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जल्द ही जमीन पर भी दिखाई देगा। वर्षों से प्रदूषण के साए में जी रहे लोग अब राहत की सांस लेने की उ्मीद कर रहे हैं। हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि अगर समय पर सुधार नहीं हुआ तो यह मामला और गंभीर रूप ले सकता है।