सिविल अस्पताल जोगिंद्रनगर में डॉक्टरों की भारी कमी, मरीज बेहाल, ओपीडी में महज तीन डॉक्टर, विशेष चिकित्सकों के पद लंबे समय से खाली
सिविल अस्पताल जोगिंद्रनगर में डॉक्टरों की भारी कमी ने मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वीरवार को अस्पताल की ओपीडी में केवल तीन डॉक्टर मरीजों को देख रहे थे, जबकि रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की यह बदतर स्थिति आमजन के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। अस्पताल में ऑर्थोपेडिक (हड्डी रोग विशेषज्ञ), ईएनटी (नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ), नेत्र रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ और मेडिसिन विशेषज्ञ जैसे महत्वपूर्ण पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं। इन विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव में गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को मजबूरी में निजी क्लीनिकों या दूर-दराज के अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक और मानसिक बोझ दोनों बढ़ रहे हैं। स्थानीय निवासी रमेश ठाकुर का कहना है, "मेरे पिता को आंखों की गंभीर समस्या है, लेकिन अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ न होने के कारण हमें मंडी ले जाना पड़ा। बार-बार बाहर ले जाना हर किसी के बस की बात नहीं है।" वहीं अस्पताल प्रशासन भी संसाधनों की कमी को लेकर चिंतित है। "तीन डॉक्टरों के भरोसे ओपीडी चल रही है, जहां रोजाना करीब 300 मरीज आते हैं। इस स्थिति में गुणवत्तापूर्ण इलाज देना कठिन हो जाता है," उन्होंने कहा।
स्थानीय विधायक प्रकाश राणा ने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया था, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। लोगों का आरोप है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली पर सरकार केवल कागज़ी कार्रवाई कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत पूरी तरह से नजरअंदाज की जा रही है।
जोगिंद्रनगर क्षेत्र की जनता ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए ताकि आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। साथ ही, स्थायी समाधान के लिए चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।