लकड़ी के पुल से गुजरने को मजबूर ग्रामीण, सधारी गांव की डूबती पुलिया बनी जीवन रेखा की जंग, विधायक डॉ. जनक राज ने सरकार की निष्क्रियता पर साधा निशाना
पांगी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत शूण के सधारी गांव में सिंधारी नाला पर बनी जर्जर पुलिया अब सैकड़ों ग्रामीणों के लिए जानलेवा संकट बन चुकी है। बरसात के मौसम में पानी का लगातार बढ़ता स्तर इस पुलिया को हर दिन डुबो रहा है। हालात इतने खराब हैं कि स्थानीय ग्रामीण अब लकड़ी से बनी अस्थायी पुलिया से जान जोखिम में डालकर गुजरने को तैयार हैं, क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा है। यह स्थिति केवल एक बुनियादी सुविधा की कमी नहीं, बल्कि सरकार की नीतिगत विफलता और संवेदनशील क्षेत्रों की उपेक्षा का प्रतीक बन चुकी है।
भरमौर-पांगी विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. जनक राज ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार की चुप्पी और लापरवाही पर तीखा प्रहार किया। डॉ. जनक राज ने कहा कि सिंधारी नाला की यह पुलिया अब केवल एक संरचना नहीं, बल्कि पांगी क्षेत्र की डूबती उम्मीदों और सरकार की अनदेखी का जीवंत उदाहरण बन चुकी है। उन्होंने चेताया कि पूंजीगत व्यय (Capital E&penditure) की भारी कमी का सबसे गहरा असर उन्हीं क्षेत्रों पर पड़ रहा है जो पहले से ही दुर्गम, सीमावर्ती और उपेक्षित हैं। 'व्यवस्था परिवर्तन' के वादे के साथ सत्ता में आई सरकार ने पांगी जैसे क्षेत्रों को विकास की सूची से बाहर कर दिया है। लोग रोज अपनी जान हथेली पर रखकर, यहां तक कि लकड़ी के बने अस्थायी पुलों से गुजरने को मजबूर हैं। ये हालात किसी भी दिन एक बड़े हादसे में बदल सकते हैं।
ये हैं मुख्य मांगें
- सधारी गांव की डूबती पुलिया को आपातकालीन स्थिति घोषित किया जाए।
- तत्काल बजट जारी कर इसका स्थायी पुनर्निर्माण शुरू किया जाए।
- पूंजीगत व्यय के अंतर्गत पांगी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए।
- संवेदनशील गांवों के लिए विशेष योजना बनाकर वास्तविक जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए।