असुरक्षित झूला पुल पर झूलती जिंदगियां, रोजाना सैकड़ों लोग जान जोखिम में डाल खतरनाक पुल को कर रहे पार
भाखड़ा बांध के निर्माण के लिए कन्वेयर बैलेट का बैलेंस बनाने के मकसद से सतलुज पर एक झूला पुल बना था। यह पुल नंगल डैम के समीप बना है। पांच दशकों से हिमाचल के एक गांव के लोग कोई अन्य मार्ग न होने के चलते आवागमन के लिए इस खतरनाक पुल का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक तरफ पंजाब का स्वामीपुर बाग और दूसरी ओर हिमाचल का यह नैहला गांव है। बिलासपुर की एक ग्राम पंचायत का यह दुर्गम गांव पंजाब सीमा से सटा है। दूसरी ओर हिमाचल का हंडोला गांव है, जो पंजाब के स्वामीपुर बाग गांव के साथ जुड़ा है। इन गांवों के सैकड़ों लोग सतलुज पर लोहे के बने इस पुराने पुल से पैदल सफर करते हैं। बच्चों के लिए यह पुल बेहद खतरनाक है। हंडोला के सुखदेव और दिलवर और नैहला के शशि का कहना है कि नैहला गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। यह गांव ग्वालथाई पंचायत में पड़ता है। यदि रात के समय कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो गांव में प्राथमिक उपचार तक की सुविधा नहीं है। मरीज को रात के वक्त झूला पुल पार करके ऊना जिले के हंडोला में प्राइवेट डॉक्टर के पास लाना पड़ता है। अगर हंडोला पुल पार न करें तो सड़क के रास्ते लगभग 20 किलोमीटर दूर पंजाब के नंगल जाना पड़ता है।
न हिमाचल, न ही पंजाब ने स्थायी पुल बनाने की ली जिम्मेदारी
पंजाब और हिमाचल की दोनों सरकारों की जिम्मेदारी है, लेकिन किसी ने भी यहां स्थायी पुल बनाने की जहमत नहीं उठाई है। ग्रामीणों के मुताबिक अगर सरकार पुल बना दे तो हंडोला, चंगर, कमून, स्वामीपुर बाग समेत दर्जनों गांवों को पंजाब के नंगल तक पहुंचना और आसान हो सकता है। ऊना जिला के हंडोला और बिलासपुर जिला के नैहला के बीच सतलुज पर बना इस झूला पुल पर अब चलना काफी जोखिम भरा है। फिर भी झूला पुल से रोजाना लोगों का पैदल आना-जाना लगा रहता है। इस पुल पर स्कूटर और मोटरसाइकिल ले जाने की सुविधा नहीं है। क्योंकि पुल पर जगह-जगह लोहे के अवरोधक लगे हैं।
कुछ साल पहले हुई थी पुल की मर्मत
स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ साल पहले झूला पुल की मर्मत कराई गई थी। इस पुल से रोजाना दोनों साइड से 500 से 1500 लोग आवागमन करते हैं। चुनाव के समय लोगों को सब्जबाग दिखाए जाते हैं। इसके बाद कोई गंभीरता नहीं दिखाता। उन्होंने सरकार और प्रबंधन से सतलुज दरिया पर स्थायी पुल बनाने की मांग की है, ताकि नैहला और हंडोला सहित साथ लगते गांवों के लोगों को आने जाने में सुविधा हो सके।