मंडी की सुकेती खड्ड में सरेआम उड़ रही हैं एनजीटी के आदेशों के धज्जियां, कोई पूछने वाला नहीं
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने मंडी में ब्यास नदी से मिलने वाली सुकेती खड्ड में नदी की धारा से दोनों ओर 25 मीटर तक निर्माण पर पाबंदी लगा रखी है ताकि किसी तरह से पर्यावरण को नुकसान न हो। इसके चलते कई लोगों को अपनी मलकियत जमीन पर भी निर्माण करना मुश्किल हो रहा है। सरकारी महकमों को भी अपने जरूरी कामों के लिए निर्माण करने में दिक्कत आ रही है मगर कुछ प्रभावशाली लोग सभी नियम कायदों को ठेंगा बता कर धड़ल्ले से निर्माण कर रहे हैं। हैरानी यह है कि सुकेती खड्ड का यह एक बड़ा क्षेत्र नगर निगम के तहत भी आता है मगर हैरानी है कि कोई पूछने वाला नहीं है। जिला मुख्यालय के साथ लगते क्षेत्र में ही बीच खड्ड में सरकारी जमीन पर व एनजीटी के चिह्न्ति एरिया जो निर्माण के लिए वर्जित किया हुआ है पर सरेआम निर्माण भी हो रहा है व डंपिंग भी हो रही है। इस मामले को प्रख्यात पर्यावरणविद्, कानूनी सलाहकार मंडी समाधान केंद्र के संचालक एवं पूर्व प्रशासनिक अधिकारी बी आर कौंडल भी लगातार उठा रहे हैं मगर न तो नगर निगम और न ही प्रशासन के सिर पर जूं रेंग रही है। पर्यावरण रक्षक मंच के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सैणी ने भी इस तरह के निर्माणों पर हैरानी व क्षोभ जताया है। पानी के बहाव को मोड़ देने से दूसरी ओर कई घरों व लोगों की जमीन के भी बरसात के दौरान हद दर्जे तक उफान पर रहने वाली सुकेती की जद में आने का साफ खतरा बन गया है। लोगों ने इस बारे में एनजीटी व प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड के ध्यान में भी मामला लाया है मगर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हैरानी तो यह है कि पिछले दिनों नगर निगम ने अपने ही एक पार्षद का निर्माणाधीन कार्य रोक दिया था यह इसमें एनजीटी के आदेशों का हवाला दिया था मगर अब तो उससे भी नीचे खड्ड के बिल्कुल साथ में सरेआम निर्माण हो रहा है मगर निगम के मंुह पर ताला जड़ा है। इधर, इस बारे में नगर निगम के कार्यालय से बताया गया कि आयुक्त हरी सिंह राणा दो दिन पहले ही सेवानिवृत हुए हैं और अभी नए आए नहीं हैं। उनके आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।