प्रत्येक वर्ग तक पहुंचे अधिकारों की रोशनी तभी बनेगा समावेशी भारत: सुरजीत भरमौरी
भारत में सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माने जा रहे जातीय जनगणना के समर्थन में सोमवार को चंबा सर्किट हाउस में एक उल्लेखनीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता एचआरटीसी निदेशक एवं हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष सुरजीत भरमौरी ने की। उनके साथ मंच पर त्रिलोक कुमार (पूर्व जिलाध्यक्ष, अनुसूचित जाति विभाग, चंबा), दिनेश शाह (पूर्व उपाध्यक्ष, राजीव गांधी पंचायती राज संगठन), अशोक कुमार (उपाध्यक्ष, युवा कांग्रेस मेहला), बिट्टू शर्मा (उपाध्यक्ष, युवा कांग्रेस), भूपिंदर राजू (ब्लॉक अध्यक्ष, सेवा दल चंबा), शिवकरण (पूर्व अध्यक्ष, आंबेडकर सोसायटी चंबा) सहित कई सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। बैठक की शुरुआत में सुरजीत भरमौरी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए शहीदों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने दो टूक कहा कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसके बाद बैठक का फोकस जातीय जनगणना के महत्व पर गया। सुरजीत भरमौरी ने कहा कि देश में यदि हर तबके को उसके हक और योजनाओं का लाभ दिलाना है, तो हमें पहले उसकी सटीक सामाजिक स्थिति जाननी होगी। आज हमारे पास अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामान्य वर्ग के आंकड़े उपलब्ध हैं, मगर अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़े अधूरे या पूरी तरह $गैर-मौजूद हैं। जब तक यह तस्वीर सा$फ नहीं होगी, तब तक योजनाएं भी अधूरी रहेंगी और कई वर्ग वंचित बने रहेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि जातीय जनगणना केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक बराबरी और हकदारी की बुनियाद है। यह आंकड़े सरकार को यह जानने में मदद करेंगे कि कौन-सा वर्ग कितनी संख्या में है, और उसे किन योजनाओं से लाभ मिलना चाहिए। 2011 में आखिरी बार सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना करवाई गई थी, लेकिन जातीय आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया।