देवता मेला के समापन अवसर पर साहित्य एवं कवि गोष्ठी का आयोजन
सुकेत साहित्य परिषद की ओर से देवता मेला सुंदरनगर के समापन अवसर पर साहित्य एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. लीलाधर वात्स्यायन सेवानिवृत आचार्य संस्कृत कॉलेज ने की। वहीं पर विशेष अतिथि के रूप सुशील पुंडीर सेवानिवृत अतिरिक्त निदेशक शिक्षा विभाग मौजूद रहे। जिसमें मंडी, सुंदरनगर और बिलासपुर के साहित्यकारों व कवियों ने शिरकत की। इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी मंडी रेवती सैनी बतौर मुख्यअतिथि मौजूद रही। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि साहित्य हर दौर में अपने समय और समाज का प्रतिनिधित्व करता है। साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है, जिसमें कविता और कहानियों के माध्यम से तत्कालीन समय का अक्श सामने उभर का आता है। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से साहित्य एवं ललित कलाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से साहित्य एवं कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाता है। रेवती सैनी ने कहा कि मंडी में उनका दूसरा कार्यकाल है, पूर्व की तरह उनका प्रयास रहेगा कि साहित्यकारों व कलाकारों का सहयोग निरंतर बिना किसी भेदभाव के करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन करती रहेगी। इसके लिए साहित्यकार एवं कलाकार कभी भी उनसे संपर्क कर सकते हैं। इस अवसर पर कवि आलोचक डॉ. विजय विशाल ने वर्तमान समय में लेखक की भूमिका विषय पर पत्र पढ़ा। उन्होंने कहा कि आज पूंजी ने लेखक की सामाजिक भूमिका का ही निषेध कर दिया है। बाजार में खड़े उपभोक्ता के लिए संवेदना, स्मृति, कल्पना और भावना के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे दौर में जब लेखक हर जगह फालतू चीज साबित किया जा रहा है तब उसके अस्तित्वगत और अस्मितामूलक भविष्य के लिए भी उसकी सामाजिक भूमिका की खोज बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पूंजी और बाजार निर्मित समाज ने दोनों को अपने केंद्र से विस्थापित कर दिया है, अदृश्य कर दिया है, हाशिए पर डाल दिया है और काफी हद तक महत्वहीन बना दिया है।जिस पर उपस्थित विद्वानों ने चर्चा की। वरिष्ठ साहित्यकार उपन्यासकार गंगा राम राजी ने कहा कि चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि साहित्य में समाज की भूमिका सदैव अग्रणी रही है, सार्थक लेखन समाज से जुड़कर ही किया जा सकता है। चर्चा में भाग लेते हुए रत्न लाल शर्मा, सुरेद्र मिश्रा, लीलाधर वात्स्यायन, देवेद्रं गुप्ता आदि ने चर्चा में बताया गया कि आज के संदर्भ में लेखक की वही भूमिका है जो परिवार में पिता की होती है। वहीं पर गंगा राम राजी ने बताया कि आज देश में विकट परिथितियां बनी हुई है इन परिस्थितियों को लेखक नजरअंदाज नहीं कर सकता उसे अपनी भूमिका परिवार में एक कुशल पिता निभाता आया है लेखक को भी उसी तरह से अपना कार्य करना होगा, क्योंकि भटकी हुई जनता की लेखक पर नजर रहती है। अनिल महंत ने मंच संचालक की बेहतरीन भूमिका निभाई। इसके अलावा दूसरा पत्र सुशील पुंडीर ने शहीद भगत सिंह की भूमिका पर पढ़ा। जिस पर विस्तृत चर्चा में सभी ने भाग लिया। इस पत्र पर सभी ने भाग लिया। आज देश में भगत सिंह की देशभक्ति की आवश्यकता फिर से आन पड़ी है। पुडीर ने अपने पत्र में यह कहा कि दुख की बात तो यह है कि आज तक भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया। जबकि पाकिस्तान में यह दर्जा भगत सिंह को प्राप्त है। इसी सत्र में गंगाराम राजी की पुस्तक जनरल जोरावर सिंह कहलूरिया जिसका डोगरी अनुवाद प्रसिद्ध डोगरी लेखिका ज्योति शर्मा ने किया है का लोकार्पण भी किया गया। इस उपन्यास का अंग्रेजी और पंजाबी में भी अनुवाद हो चुका है। कार्यक्रम के आयोजक गंगा राम राजी ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए देवता मेला कमेटी के अध्यक्ष एसडीएम सुंदरनगर नेगी का आभार जताया, जिनके सहयोग से यह साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करना संभव हो पाया। वहीं पर उन्होंने बताया कि समारोह में दूसरी बार मंडी जिला में भाषा अधिकारी का पदभार संभालने वाली रेवती सैनी का सुकेत साहित्य परिषद और उपस्थित लेखकोंने स्वागत करते हुए उन्हें सम्मानित किया। कार्यक्रम का दूसरा सत्र बहू भाषी कवि सम्मेलन के रूप में रहा। जिसकी अध्यक्षता डॉ. सीता राम शास्त्री ने की। जबकि हास्य कवि रत्तन लाल शर्मा विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर लगभग 30 कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया। जिनमें सुरेंद्र मिश्रा, देविंद्र गुप्ता, राजेंद्र ठाकुर, विजय विशाल, सत्यपाल वशि भीम सिंह परदेशी, विनोद गुलेरिया, लेख राम, सीता राम, अनिल महंत, लीलाधर वात्स्यायन आदि प्रमुख हैं।