निजी बस संचालकों ने सरकार का जताया आभार, लेकिन लंबी दूरी के किरायों और जेएनएनयूआरएम बसों पर जताई आपत्ति
हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ ने प्रदेश सरकार द्वारा न्यूनतम बस किराया ₹10 निर्धारित करने के निर्णय का स्वागत किया है। संघ के सचिव मनु शर्मा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तथा उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह निर्णय निजी बस संचालकों की वर्षों पुरानी मांग को मान्यता देता है और इससे उन्हें आंशिक राहत मिली है। उन्होंने बताया कि यह कदम स्वागत योग्य है, किन्तु पड़ोसी राज्य पंजाब में न्यूनतम किराया ₹15 है, जो दर्शाता है कि हिमाचल के संचालकों को अभी भी पूर्ण राहत नहीं मिली है।
संघ ने यह स्पष्ट किया है कि केवल न्यूनतम किराया बढ़ाया गया है, लेकिन लंबी दूरी की बस सेवाओं के किरायों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने सरकार से माँग की है कि लंबी दूरी की बसों के किराये में कम से कम 25 प्रतिशत की वृद्धि की जाए। संघ का कहना है कि डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है, बस की चेसिस की कीमत छह गुना बढ़ चुकी है, एक बस की बॉडी की लागत ₹2 लाख से बढ़कर ₹12 लाख हो गई है, बीमा की दर ₹18,000 से बढ़कर ₹1.25 लाख हो चुकी है, और टायर, कल-पुर्जों तथा वर्कशॉप की लागतें भी लगातार बढ़ रही हैं। इन परिस्थितियों में वर्तमान किराया दरों पर बसों का संचालन आर्थिक रूप से असंभव हो गया है।
संघ ने एक अन्य महत्वपूर्ण विषय पर भी आपत्ति दर्ज करवाई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) द्वारा जेएनएनयूआरएम की बसों का संचालन उच्च न्यायालय, शिमला के स्पष्ट आदेशों के विरुद्ध किया जा रहा है। न्यायालय ने इन बसों को केवल 13 निर्धारित क्षेत्रीय समूहों में सीमित रखने का आदेश दिया था, लेकिन ये बसें अब पठानकोट, होशियारपुर, चंडीगढ़, नंगल, बद्दी और अंबाला जैसे अंतरराज्यीय एवं लंबी दूरी के मार्गों पर चलाई जा रही हैं।
संघ का कहना है कि इस अवैध संचालन की जानकारी परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार दी गई, परंतु उन्होंने केवल औपचारिक पत्राचार कर अपने उत्तरदायित्व से बचने का प्रयास किया। संघ का यह भी आरोप है कि यह सब कुछ विभागीय अधिकारियों की मौन स्वीकृति से किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र यह अवैध संचालन नहीं रोका गया, तो वे उच्च न्यायालय, शिमला में अदालत की अवमानना का मामला दर्ज करेंगे तथा निजी बस संचालकों को हुई आर्थिक क्षति की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति का दावा भी दायर करेंगे।
मनु शर्मा ने अंत में यह स्पष्ट किया कि संघ का उद्देश्य किसी प्रकार का टकराव नहीं है, बल्कि समाधान की दिशा में कदम बढ़ाना है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि सभी निजी बस संचालकों के हितों की रक्षा करते हुए आवश्यक नीतिगत निर्णय शीघ्र लिए जाएं, ताकि राज्य में परिवहन व्यवस्था स्थिर, व्यवस्थित एवं आर्थिक रूप से टिकाऊ बनी रह सके।