नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना
शरद नवरात्रि के पहले दिन मंदिरों में भक्तों की कतारें लगनी शुरू हो गई हैं। पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गई। प्रथम नवरात्रे पर लोगों में जौं बीजने की भी परंपरा है। आचार्य नीतीश शर्मा ने बताया कि जौं बीजने का उचित समय सुबह ६ बजे से लेकर साढ़े ७ बजे तक रहा है।
मंदिरों में भक्तों की भीड़
नवरात्रों के शुरू होते ही सिरमौर के मां बाला सुंदरी मंदिर, मां कालिस्थान मंदिर नाहन, प्रदेश के प्रमुख शक्ति पीठ माँ नैना देवी, चिंतपूर्णी, ज्वालाजी आदि शक्तिपीठों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। भक्तों ने मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
मां शैलपुत्री का महत्व
मां शैलपुत्री का जन्म हिमालय के घर में हुआ था, इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। वह भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और उनकी पूजा अर्चना से भक्तों को शक्ति और सुख की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि..
आचार्य नीतीश शर्मा का कहना है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने के लिए घर में एक स्वच्छ स्थान पर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद, मां शैलपुत्री को फूल, फल, और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें। मां शैलपुत्री की आरती और मंत्रों का जाप करें। मंत्र इस प्रकार है: “ॐ शैलपुत्र्यै नमः” वहीं स्थानीय विधायक अजय सोलंकी के द्वारा इस पावन अवसर पर सभी श्रद्धालुओं को नवरात्रि की शुभकामनाएं भी दी गई हैं।