डॉ. रमेश चंद: चिकित्सा सेवा से सेब बागवानी तक का प्रेरणादायक सफर
बल्ह-पांगणा-करसोग ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के प्रतिभा संपन्न डाॅक्टर रमेश चंद का नाता वर्ष 1992-93 को पांगणा से जुड़ा है। चिकित्सा जगत में चिकित्सक के रुप में डाॅक्टर रमेश ने अपने जीवन की सरकारी सेवा की शुरुआत पांगणा से की। एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी रमेश ने स्थानीय आशीर्वाद युवा मंडल से जुड़कर चिकित्सा के साथ-साथ स्वयं कर्मरत रहते हुए दूसरों को भी सद्कर्म करने की ओर प्रेरित किया। सेवा के क्षेत्र में डाॅक्टर रमेश ने अपने सक्रिय सहयोगी डाॅक्टर जगदीश शर्मा और स्वयं सेवाओं के साथ साक्षरता अभियान, साक्षरता से स्वास्थ्य की ओर, पर्यावरण संरक्षण, जल जनित रोगों, मुफ्त स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर, नेत्र चिकित्सा शिविर, रक्तदान, नेत्र दान चिकित्सा शिविर और श्रमसेवा शिविरो का आयोजन कर समाज की अनेक कसौटियों पर इतने खरे उतर गये कि पांगणा के मूल निवासी होकर रह गए। डाॅक्टर रमेश ने लंबी पदयात्रा कर रमेश ने दीवार लेखन के भूली-भटकी जनता को स्वास्थ्य और विभिन्न रचनात्मक गतिविधियो के स्वस्थ संदेश दिया। अपनी गृह वाटिका में शौकिया तौर पर एस्टर और गलेडियस पुष्पोत्पादन कर किसानो को प्रेरित किया। ग्राम सेवा व राष्ट्रीयता के भावो से ओत-प्रोत आपके सेवा कार्यो को देखते हुए तत्कालीन उपायुक्त मंडी तरुण श्रीधर ने आपको मण्डी जिला के सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी के पुरस्कार से सम्मानित किया।आपने बालरोग चिकित्सक, एमबीए की उपाध्याय प्राप्त करने के बाद इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान शिमला मे डिप्टी एम एस और एम एस के पद पर बेसहारा के मसीहा के रुप मे कार्यकर प्रदेश वासियो की अनथक सेवा करने के बाद चिकित्सा उप निदेशक के पद से सेवानिवृत हुए और आजकल पिछले तीन वर्ष से पांगणा के शाहल गांव मे सेब का हाई डैन्सिटी रुट स्टॉक का सुंदर बागीचा तैयार कर पलायन करती युवा पीढ़ी को बागबानी-खेती मे अपने श्रम भाव दिखाने के लिए प्रेरित कर रहे है। सेब की सघन खेती पर आधारित इस बागीचे मे तीन से पांच फुट की दूरी पर सेब की विभिन्न आधुनिक किस्मो के लगभग 1500 पौधे लगे है। डाॅक्टर रमेश चंद का कहना है कि स्वस्थ भूमि पर वैज्ञानिक आधार पर कम क्षेत्र मे अधिक पौधारोपण कर अधिक उत्पादन की सही तकनीक अपनाकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। डाॅक्टर रमेश चन्द का कहना है कि आगामी तीन-चार वर्ष में यह बागीचा एक नए रुप मे होगा। डाॅक्टर रमेश चंद का कहना है कि सेब उत्पादन को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास के लिए राज्य सरकार जो सराहनीय योगदान कर रही है,वह किसी से छुपा नही है।जिसके परिणामस्वरूप बागबानो की आय बढ़ी है। रमेश चंद के इस बागीचे की देखभाल मे लगे दीपराम का कहना है कि सेब बागबानी के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण होना बहुत ही जरुरी है।