उपेक्षित हालत में हैं डुगराईं पंचायत के प्राकृतिक जल स्त्रोत
मंडी जिला के एक बड़े भाग में प्राकृतिक जल स्त्रोत उपेक्षित हालत में होने से संबंधित विभाग, प्रशासन आदि पाप कमा रहा है क्योंकि जमीनी स्तर पर काम नहीं होने से मीठे-ठंडे जल के ये बदहाल स्त्रोत कई वर्षों से स्वच्छता की राह देख रहे हैं। जल शक्ति विभाग जल जीवन मिशन,जल है तो कल है आदि जैसी बड़ी-बड़ी बातें कर देने से धरातल के नेक कार्य स्वयं तो नहीं हो जाएंगे इसके लिए ईमानदारी से निरंतर कार्य में जुटने की सख्त जरूरत है। खासतौर पर नाचन क्षेत्र की ग्राम पंचायत डुगराईं में प्राचीन प्राकृतिक जल स्रोतों की दयनीय स्थिति देखकर लगता है कि लोग अपना दया धर्म ही भूल चुके हैं क्योंकि गांव डुगराईं मार्ग से सटा प्राचीन कुआं और बावड़ी जहां गंदगी से लबालब हैं वहीं इसी पंचायत के गांव डीनक की प्राचीन बावड़ी जिसके इर्द-गिर्द दैवी शक्ति का धार्मिक मेला भी लगता रहा है को दबी खपी सी हालत में देखा जा सकता है जो पुनर्निर्माण की राह देख तो जरूर रही है मगर इस दिशा में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। यही नहीं पंचायत के उप गांव भराड़ा तथा लिखाई के यहां के राम भरोसे पड़े कुएं भी बड़े स्तर पर सुधार की राह देख रहे हैं। बुद्धिजीवी लोगों ने उपायुक्त मंडी व प्रदेश सरकार से सानुरोध प्रार्थना की है कि शीघ्र ही बदहाल पड़े प्राकृतिक जल स्रोतों के कायाकल्प को लेकर बड़े पैमाने पर सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।