शरीर का रखना हो ध्यान, तो बंद करें धूम्रपान.
नो स्मोकिंग डे:
हर साल मार्च महीने के दूसरे बुधवार को धूम्रपान निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। धूम्रपान निषेध दिवस पहली बार वर्ष 1984 में आयरलैंड गणराज्य में ऐश बुधवार को मनाया गया था। कई लोगों की धूम्रपान करने की आदत होती है, इससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरे होते हैं। धूम्रपान करने से अक्सर फेफड़ों का कैंसर होता है। धूम्रपान करने की आदत पड़ जाने के बाद इसे छोड़ना या कम करना लोगों के लिए कठिन होता है। जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं लेकिन धूम्रपान करने वालों के सम्पर्क में आने से उनको भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। जिससे वे अक्सर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। धूम्रपान के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने और उन्हें धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए, हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को धूम्रपान निषेध दिवस मनाया जाता है। इस साल धूम्रपान निषेध दिवस या नो स्मोकिंग डे 13 मार्च को पड़ रहा है। यह दिन नो टोबैको डे से प्रेरित है और यूनाइटेड किंगडम में प्रमुख रूप से मनाया जाता है।
1920 के दशक के दौरान चिकित्सा रिपोर्टों ने धूम्रपान को कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से जोड़ा। तब से, दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों को अपनी आदत छोड़ने के लिए मनाने के लिए कई पहल शुरू की गई हैं।
धूम्रपान निषेध दिवस का महत्व
लोगों को धूम्रपान के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने और समय पर इसे छोड़ने में मदद करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी। धूम्रपान छोड़ना बहुत समर्पण और प्रेरणा का काम है क्योंकि जो लोग नियमित रूप से धूम्रपान करते हैं, उनके शरीर को इसकी लत लग जाती है। यदि वे धूम्रपान करना बंद कर देते हैं, तो उनका शरीर इस तरह प्रतिक्रिया करता है कि वे तंबाकू के लिए तरसते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के मुताबिक, सेकेंड हैंड स्मोकिंग से हर साल लगभग 12 लाख लोगों की समय से पहले मृत्यु होती है। विभिन्न शोधों के अनुसार, यह पाया गया है कि धूम्रपान निषेध दिवस 10 में से 1 व्यक्ति के लिए मददगार साबित हुआ है जो इस बुरी आदत को छोड़ना चाहता था।
धूम्रपान के प्रभाव: खांसी और गले में जलन, सांसों की दुर्गंध और बदबूदार कपड़े, रूखी त्वचा और दांतों का मेला पन या मलिनकिरण, भ्रूण की गंभीर स्थिति,हृदय रोग और फेफड़ों का कैंसर। डब्ल्यूएचओ के अनुसार तंबाकू अपने आधे उपयोगकर्ताओं को मार डालता है। तंबाकू से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है। उन मौतों में से 70 लाख से अधिक प्रत्यक्ष तंबाकू के उपयोग से मारे जाते हैं। दुनिया भर के 130 करोड़ तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से 80 फीसदी से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।