आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित होगा जोगिंद्रनगर विद्युत प्रोजेक्ट
जोगिंद्रनगर विद्युत परियोजना के कायाकल्प के लिए केंद्र सरकार के उपक्रम मेकॉन लिमिटेड ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। आगामी माह से मेकॉन लिमिटेड के विशेषज्ञ इंजीनियर मोर्चा संभालेंगे और प्रोजेक्ट के हर उपकरण की गहन जांच करेंगे। इसके तहत जलाशय, सुरंग, पेन स्टॉक और विद्युत गृह के उपकरणों के अवशिष्ट जीवन का आकलन किया जाएगा।
विशेषज्ञों ने किया दौरा मेकॉन लिमिटेड के दो विशेषज्ञ जोगिंद्रनगर पहुंच चुके हैं। उन्होंने प्रोजेक्ट प्रबंधन के साथ बैठक कर मशीनरी और उपकरणों के आधुनिकीकरण को लेकर चर्चा की। सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों की टीम यह तय करेगी कि किन उपकरणों को बदला जाना है और किन्हें भविष्य में उपयोग में लाया जा सकता है।
प्रोजेक्ट के तहत कर्मचारियों के पुराने आवासों की मरम्मत की जाएगी और उन्हें आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। यह कदम न केवल प्रोजेक्ट की दीर्घकालिक उपयोगिता सुनिश्चित करेगा बल्कि कर्मचारियों के जीवन स्तर को भी बेहतर बनाएगा।
इतिहास और उत्पादन क्षमता यह परियोजना 1932 में शुरू हुई थी। इसके निर्माण के लिए तत्कालीन मंडी रियासत और स्टेट ऑफ इंडिया के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए थे। वर्तमान में इसका संचालन पंजाब सरकार के पास है। 99 वर्ष की लीज अवधि समाप्त होने के बाद हिमाचल सरकार इसे अपने अधीन लेना चाहती है, और मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
उत्पादन क्षमता रहेगी स्थिर
परियोजना में सालाना 500 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन होता है। आधुनिकीकरण के बावजूद उत्पादन क्षमता 110 मेगावाट ही बरकरार रहेगी। यह प्रोजेक्ट न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में भी अहम भूमिका निभाता है।