बंबर ठाकुर अपने आप को बचाने के लिए किसी भी प्रकार का षड्यंत्र रच सकते है : त्रिलोक
शिमला, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नेता बंबर ठाकुर एक बार फिर विवादों में फसते चले जा रहे है। नशे को लेकर बंबर ठाकुर ने मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी लिखी जिसमे उन्होंने नेताओ के साथ साथ पत्रकारों के भी इस नशा तस्करी के मामले में घसीट दिया, इसके बाद बिलासपुर जिला के पत्रकारों ने कांग्रेस नेता बंबर ठाकुर ठाकुर का बहिष्कार कर दिया। इस बात की पुष्टि भाजपा के पूर्व प्रदेश महामंत्री एवं विधायक त्रिलोक जमवाल ने की। इस संदर्भ में सोशल में भी दो पत्र वायरल हुए है। बंबर ठाकुर ने अपने पत्र के पहले अंतरा में ही पत्रकारों को अपने निशाने पर ले लिया। पत्र में मुख्यमंत्री से उन्होंने सविनय निवेदन है कि बिलासपुर जिला सहित सारे हिमाचल प्रदेश में चिट्टा के प्रयोग से हजारों बच्चों /युवाओं का जीवन तबाह होने के प्राय हर रोज समाचार मिल रहे हैं और यदि इस जीवन नाशक नशे पर कड़ा अंकुश लगाने के लिए तुरंत प्रभाव से उचित कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश की युवा पीढ़ी पूरी तरह से इसकी जकड़ में आ जाएगी | प्रदेश के कुछ भाजपा नेता, कुछ पुलिस अधिकारी और कुछ पत्रकार यदि सरेआम चिट्टा तस्करों के पक्ष में उतर जाये तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस जानलेवा नशे पर अंकुश कैसे लगाया जा सकता है ? इसके बाद बिलासपुर के सभी पत्रकारों ने जिलाधीश के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जिसमे पत्रकारों ने कहा की आपके संज्ञान में लाना है कि अभी हाल ही में सदर बिलासपुर के पूर्व विधायक ने नशीली दवाओं के खिलाफ एक रैली का आयोजन करते हुए एक ज्ञापन सौंपा था जिसमें भाजपा नेताओं, पुलिस अधिकारियों और मीडिया कर्मियों की संलिप्तता का आरोप लगाया गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा करके राजनेता ने पूरे मीडिया पर आरोप लगाया है और राज्य सरकार सहित बड़े पैमाने पर जनता की नजर में चौथे स्तंभ की छवि खराब की है। प्रकरण का संज्ञान लेते हुए समस्त मीडियाकर्मी जिला मुख्यालय स्थित प्रेस कक्ष में एकत्र हुए और इस मामले को राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के समक्ष गंभीरता से उठाने का निर्णय लिया। इस बैठक में लोकतांत्रिक तरीका अपनाते हुए पूर्व विधायक, बम्बर ठाकुर को प्रेस के समक्ष मामले को स्पष्ट करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं आये। इसलिए मीडिया जगत राज्य सरकार से अनुरोध करता है कि उचित साक्ष्य के साथ दोषियों का पता लगाने को कहा जाए। यदि वह असफल होते हैं तो बिलासपुर मीडिया उनके खिलाफ दस करोड़ रुपये से अधिक की मानहानि का मुकदमा दायर कर कानूनी कार्रवाई करेगा। इसलिए, हम सरकार से इस बारे उचित कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं।