बिंगा में अरबी (कचालू) की बंपर फसल किसान खुश
मंडी जिले के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत बिंगा के गांव बिंगा में इन दिनो अरबी कचालू व अदरक खरीदने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं और इस बार भी गत वर्षों की भांति इन फसलों की बंपर फसल है इस गांव के किसानों द्वारा रासायनिक खाद का इस्तेमाल अपनी फसलों पर नहीं किया जाता है अरबी और कचालू व अदरक के लिए व अन्य फसलों के लिए लोग जैविक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं यहां के किसानों द्वारा केंचुआ पिट बनाए गए हैं। तथा किसानों द्वारा इसमें तैयार खाद का ही इस्तेमाल किया जाता है गौरतलब है की इस गांव की अरबी कचालू की मांग इस क्षेत्र के अलावा दूसरे जिलों से व प्रदेश के बाहर के लोग भी यहां के कचालू अरबी को खरीदने के लिए आते हैं। यहां की कचालू अन्य क्षेत्र की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट होते हैं और इनमें चिपचिपा पन भी नहीं होता है यहां से खरीदने वाले अधिकतर लोग इस अरबी का इस्तेमाल अपने घरों में विवाह शादियों के दौरान धाम में मदरा(दम) बनाने के लिए करते हैं और कई लोग तो से स्नैक्स के तौर पर भी इसका इस्तेमाल करते हैं यहां पर किसानों को ऑर्डर आना निकालने से एक महीना पहले ही आना शुरू हो जाते हैं इस बार यहां की कचालू 60 रूपये किलो के हिसाब में बिक रही है और यहां अदरक 100 रुपए प्रति किलो द्वारा बेचा जा रहा है। लोगों द्वारा पिछले कई वर्षों से बंदरों के आंतक की वजह से परंपरागत खेती से मुंह मोड़ लेने के बाद इन फसलों की ओर रुझान बढ़ा जिसका गांव के किसानों को फायदा भी मिल रहा है। गांव के प्रोग्रेसिव किसान ओम प्रकाश का कहना है कि वह कचालू व अदरक की फसल से 30 से 40,000 रुपए प्रतिवर्ष कमा लेते हैं यही बात गांव के अन्य किसानों आसाराम मोहनलाल, विपिन कुमार मेहर सिंह बालम राम नत्था सिंह आसाराम रामसरन दुनीचंद कपिल देव प्रेम सिंह नथुराम केशव राम, विद्यासागर, परम देव, रामपाल, कश्मीर सिंह, अनु कुमार, राजेश कुमार, कृष्ण चंद, टेकचंद, पृथ्वीपाल, मीरा देवी, कुंती देवी, शकुंतला देवी, भूरी सिंह, इंदर सिंह काकू, देशराज, विकी कुमार, दयालु राम, ईश्वरदास, सरदारू राम, भादर सिंह, धर्मू, ठाकरू, सुखराम भागमल,अजीत सिंह, तुलाराम, कपूर सिंह, देशराज, निर्मला देवी, रामनाथ ठाकुर आदि ने कहां की की इन फसलों से जहां किसानों की आर्थिकी में इजाफा हुआ वहीं पर बंदरों के आंतक से भी उन्हें निजात मिली क्योंकि बंदर इन फसलों को नहीं खाते हैं इन किसानों का कहना है कि अगर सरकार उन्हें प्रोत्साहित करें और उनकी इन फसलों को मार्केट में अच्छे दाम पर बेचने की व्यवस्था करें। 1000 क्विंटल से अधिक कचालू होने का अनुमान इस गांव के किसानों द्वारा लगाया जा रहा है।