मंडी पहुंची शहीद राकेश कुमार की पार्थिव देह, डीआईजी सौम्या व एक्स सर्विस लीग के पदाधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि
बीते रोज जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में आंतकी मुठभेड़ में शहीद हुए नायब सूबेदार राकेश कुमार की पार्थिव देह मंडी पहुंची। सेना के हेलिकॉप्ट के माध्यम से पहले शहीद की पार्थिव देह कांगणीधार हेलीपेड़ पहुंचाई गई। बता दें कि प्रशासन के माध्यम से पहले जो जानकारी मिली थी उसके अनुसार सोमवार सुबह 10 बजे शहीद राकेश कुमार की पार्थिव देह मंडी पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन सेना संबंधी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद दोपहर 3 बजे के करीब शहीद की पार्थिव देह मंडी पहुंची। कांगणीधार में प्रशासन की ओर से डीआईजी मध्य जोन मंडी सौम्या सांबशिवन, विधायक नाचन विनोद कुमार सहित एक्स सर्विस लीग के पदाधिकारियों और अन्य ने शहीद राकेश कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रशासन की ओर से इस अवसर पर एसडीएम कोटली मौके पर मौजूद रहे। सैनिकों व पूर्व सैनिकों ने शहीद राकेश कुमार साहब अमर रहे के खूब नारे भी लगाए। इसके उपरांत शहीद नायब सूबेदार की पार्थिव देह सेना के वाहन के माध्यम से नेरचौक मेडिकल कॉलेज ले जायी गई। यहां से मंगलवार सुबह शहीद की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव पंहुचाई जाएगी। एसडीएम बल्ह स्मृतिका नेगी ने बताया कि कल सुबह शहीद नायब सूबेदार राकेश कुमार का अंतिम संस्कार किया जाएगा। गौरतलब है कि शहीद नायब सूबेदार मंडी जिला के बल्ह उपमंडल की छम्यार पंचायत के तहत पड़ने वाले बरनोग गांव के निवासी थे। राकेश कुमार ने मां भारती की रक्षा करते हुए 42 वर्ष की उम्र में शहादत का जाम पिया है। उनकी इस शहादत से जहां परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है वहीं पूरे क्षेत्र में मातम पसरा हुआ है।
राकेश कुमार की शहादत के बाद पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मिली जानकारी के अनुसार शहीद राकेश कुमार और उसके भाई का 10 कमरों का मकान वर्ष 2023 की प्राकृतिक आपदा में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। मौजूदा समय में शहीद राकेश कुमार का भाई अपने पुराने मकान में तो राकेश कुमार का परिवार बैहना में किराए के मकान में रह रहा है। राकेश कुमार के भाई कर्म सिंह ठाकुर ने बताया कि उनका भाई अभी डेढ़ महीना पहले ही छुट्टियां काटकर वापिस अपनी डयूटी पर गया था और दिसंबर में फिर घर आकर जनवरी में नए घर का निर्माण कार्य शुरू करने का वादा करके गया था। शहीद राकेश कुमार का नये घर को बनाने का सपना अधूरा ही रह गया और वो देश की रक्षा करते हुए शहादत का जाम पी गया। अब यह सारी जिम्मेवारियां परिवार के उपर आ गई हैं। शहीद राकेश कुमार अपने पीछे 90 वर्षीय बुजुर्ग मां भत्ती देवी, 33 वर्षीय पत्नी भानुप्रिया, 12 वर्षीय बेटी यशस्वी ठाकुर और 7 वर्षीय बेटे प्रणव ठाकुर को छोड़ गया है।