मेडिकल कॉलेज नेरचौक में संक्रमण की रोकथाम और जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन पर सह कार्यशाला आयोजित
लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा संक्रमण की रोकथाम और जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से रोगाणुरोधी प्रतिरोध का मुकाबला करने के महत्वपूर्ण विषय पर एक सीएमई सह कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम माइक्रोबायोलॉजी विभाग में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य पेशेवरों और छात्रों को रोगाणुरोधी प्रतिरोध के खिलाफ लड़ाई में नवीनतम ज्ञान और रणनीतियों से लैस करना रहा। रोगाणुरोधी प्रतिरोध समुदाय के लिए एक बड़ा खतरा है। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. डीके वर्मा, प्रधानाचार्य और डॉ. दीपाली शर्मा मुख्य अतिथि, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक ने किया। उन्होंने रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बढ़ते खतरे पर जोर दिया, जो वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. सुनीती ए गंजू ने प्रभावी संक्रमण रोकथाम उपायों और जिम्मेदार जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डाला, क्योंकि ये प्रतिरोधी रोगाणुओं के उद्भव और प्रसार को कम करने में महत्वपूर्ण घटक हैं। इस अवसर पर मुख्यातिथि द्वारा माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा बनाई लॉगबुक का विमोचन किया गया। प्रमुख सत्रों में डॉ. सुनीती ए गंजू द्वारा "जीनोमिक निगरानी: एएमआर से निपटने का तरीका व मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. राजेश भवानी द्वारा "एंटीमाइक्रोबियल्स को संरक्षित करें: जीवन और आजीविका बचाएं पर अपने विचार साझा किए। वहीं फार्माकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ पी के शर्मा द्वारा "एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप को बढ़ावा देना और डॉ. आरसी गुलेरिया, एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा "बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन का कार्यान्वयन, डॉ. लता आर. चंदेल द्वारा "वर्तमान एएसटी पैटर्न और एंटीबायोटिक नीति तथा डॉ. राजेंद्र सिंह द्वारा "संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण को लेकर संबोधित किया गया।
कार्यशाला ने प्रतिभागियों को नैदानिक मामलों पर चर्चा करने तथा प्रभावी एएमआर नियंत्रण उपायों और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों के कार्यान्वयन में व्यावहारिक अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए एक व्यापक मंच प्रदान किया। कार्यशाला में लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में संकाय सदस्यों, स्नातकोत्तर छात्रों, प्रशिक्षुओं और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों ने भाग लिया। यह ज्ञान के आदान-प्रदान और नेटवर्किंग के लिए एक उत्कृष्ट अवसर के रूप में कार्य करता है, जिससे एएमआर से निपटने के प्रयासों को और मजबूती मिलती है। कार्यशाला का समापन माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा सभी स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को निरंतर शिक्षा, कठोर संक्रमण नियंत्रण प्रथाओं और जिम्मेदार अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से एएमआर से निपटने में एक सहयोगी दृष्टिकोण अपनाने के लिए कार्रवाई करने के आह्वान के साथ हुआ।