सोशल मीडिया: वरदान या अभिशाप? विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन
हिमाचल प्रदेश विधि महाविद्यालय के विधि विभाग ने वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया। बीए.एलएलबी के सभी सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने वाद-विवाद प्रतियोगिता में सक्रिय रूप से भाग लिया। वाद-विवाद प्रतियोगिता में बीए.एल.एल.बी. के साथ-साथ एल.एल.बी. की भी कई टीमें शामिल थीं। सहायक प्रोफेसर, सुश्री मनीषा, श्वेता, अनूपा, शिल्पा, श्री मनीष भाटिया और श्री अपूर्व ने पूरे वाद-विवाद प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों के वक्तृत्व कौशल को निखारना, विश्लेषणात्मक सोच को बढ़ावा देना और समकालीन कानूनी और सामाजिक मुद्दों पर स्वस्थ चर्चा को प्रोत्साहित करना था। प्रतियोगिता में विभिन्न सेमेस्टर के विधि विद्यार्थियों ने भाग लिया और कानूनी सुधारों से लेकर सामाजिक न्याय के मुद्दों तक के विविध विषयों पर अपने तर्क प्रस्तुत किए। सोशल मीडिया: वरदान या अभिशाप पर बहस जटिल बनी हुई है, जिसमें दोनों पक्षों के पास वैध बिंदु हैं। सोशल मीडिया ने निस्संदेह कनेक्टिविटी, सूचना प्रसार, व्यापार विकास और सामाजिक सक्रियता के मामले में अपार लाभ लाए हैं। हालांकि, इसके काले पहलू- जैसे मानसि स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं, गलत सूचना, लत और गोपनीयता के उल्लंघन- को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है सकारात्मकता का लाभ उठाने और नकारात्मकता को कम करने के बीच संतुलन बनाना यह सुनिश्चित करने की कुंजी होगी कि सोशल मीडिया समाज के लिए एक लाभकारी उपकरण बना रहे। इस संतुलन के लिए लाभ को अधिकतम करते हुए नुकसान को कम करने के लिए जागरूकता बढ़ाने, आत्म-नियमन और नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश कॉलेज ऑफ लॉ के निदेशक/प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) अश्विनी कुमार ने वाद-विवाद प्रतियोगिता के दौरान छात्रों से बातचीत की। उन्होंने छात्रों की सराहना की हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन श्री रजनीश बंसल, विकास बंसल और सीईओ मन्नत बंसल ने भी छात्रों के साथ बातचीत की और कहा कि एक कानून के छात्र होने के नाते यह आवश्यक है कि वे वाद-विवाद प्रतियोगिता में अपनी अधिकतम भागीदारी दें क्योंकि इससे उनके संचार कौशल में सुधार होगा और वे अपने पेशे में कुशल बनेंगे।