अन्नपूर्णा स्वयं सहायता समूह का हैंडीक्राफ्ट स्टॉल बना सरस मेले का आकर्षण केंद्र
जोगिंद्रनगर उपमंडल के चौंतड़ा ब्लॉक के अन्नपूर्णा स्वयं सहायता समूह द्वारा सरस मेले में लगाए गए रीसाइक्लिंग आधारित हैंडीक्राफ्ट स्टॉल ने पर्यटकों और कला प्रेमियों का ध्यान खींचा है। इस स्टॉल में प्लास्टिक और गोबर जैसी पुनः उपयोग की जाने वाली सामग्रियों से तैयार उत्पाद और सजावटी सामान प्रदर्शित किए गए हैं, जो पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रहे हैं।
रीसाइक्लिंग से बनाए गए विशेष उत्पाद
अन्नपूर्णा समूह की सदस्य गीतांजलि गोस्वामी ने बताया कि इस स्टॉल में उनके द्वारा बनाए गए विशेष उत्पादों को लोगों का शानदार प्रतिसाद मिल रहा है। उन्होंने बताया कि गोबर से बने दीये और प्लास्टिक की बोतलों से तैयार सजावटी सामग्री विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। यह प्रयास न केवल दर्शकों को रीसाइक्लिंग के महत्व का संदेश दे रहा है, बल्कि पर्यावरण सुरक्षा में भी सहायक है। उन्होंने यह भी बताया कि इन उत्पादों की बढ़ती मांग से समूह की महिलाओं को रोजगार का एक स्थिर स्रोत मिल रहा है।
महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
सरस मेला महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने का एक उत्कृष्ट मंच साबित हो रहा है, जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अपनी कला और हुनर को प्रदर्शित कर रही हैं। गीतांजलि गोस्वामी ने बताया कि राज्य सरकार के साथ हरियाणा और केंद्र सरकार से भी उन्हें इस प्रयास में पूरा सहयोग मिल रहा है। इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिल रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है।
हिमाचली हस्तशिल्प की विशेष प्रदर्शनी
हिमाचल प्रदेश के अन्य स्टॉलों में भी पारंपरिक अंजीर का अचार, हैंडलूम के उत्पाद और अन्य हस्तनिर्मित सामग्रियां प्रदर्शित की गई हैं। ये वस्तुएं हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हुए पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। मेले में पारंपरिक कला के अनूठे प्रदर्शन ने न केवल स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा दिया है, बल्कि कला प्रेमियों के बीच इसे लोकप्रिय भी बनाया है।
रोजगार और पर्यावरण संरक्षण का अनोखा मेल
सरस मेले में हर दिन लोगों का उत्साह बढ़ता जा रहा है। यहाँ प्रदर्शित वस्तुएं साबित कर रही हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं असीम प्रतिभा की धनी हैं, और उनका हुनर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना सकता है। अन्नपूर्णा स्वयं सहायता समूह जैसे प्रयास न केवल महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक साबित हो रहे हैं।