मार्केटिंग मुश्किल, कम हुआ स्वरोजगार से जुडऩे का क्रेज
कभी मार्केट न मिलने, कभी प्रोडक्ट को सही से प्रेजेंट न कर पाने, कभी खराब इंफ्रास्ट्रचर, कभी ब्रांडिग न कर पाने तो कभी बैकिंग कारणों से करीब आधे कुटीर, छोटे तथा मध्यम उद्यम दम तोड़ देते हैं। यही कारण है कि स्वरोजगार की योजनाओं के प्रति युवाओं का रूझान कम हुआ है। आंकड़ों के अनुसार पहले के सालों के मुकाबले अब युवाओं में स्वरोजगार को लेकर क्रेज धीरे-धीरे कम हो रहा है। प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में जिला उद्योग विभाग की 6 साल से चल रही स्वाबलंवन योजना में करीब 700 उद्यम स्थापित हुए हैं तथा इन्हें 33 करोड़ के करीब सब्सिडी प्रदान की गई है। पूरे जिले में 8084 के करीब लघु उद्योग पंजीकृत हैं। इनमें से कई छोटे कारोबार उद्योग विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत शुरू किए गए। हैरानी की बात यह कि इनमें से करीब आधे अब तक बंद हो चुके हैं। करीब 3900 उद्यम दम तोड़ चुके हैं, जबकि करीब 4100 स्वरोजगार की राह में आगे बढ़ भी रहे हैं। विश्व में आज अंतरराष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम दिवस मनाया जा रहा है लेकिन हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में दिखते नतीजे सबसे बड़े जिले में उद्यमों के विकास के लिए सकारात्मक नहीं माने जा सकते।
संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को मनाने की घोषणा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को बढ़ावा देने और संयुक्त प्रयासों पर बातचीत को प्रेरित करने को की थी।
सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मंत्रालय के तहत ऐसे करीब साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा उद्यम पंजीकृत हैं। कुल 4,63,52,044 में से 4,55,17,325 कुटीर उद्योग, 7,07,820 छोटे उद्यम तथा 67,460 मध्यम उद्यम हैं। आंकड़ों के अनुसार इन उद्यमों से करीब सवा 2 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है।