किसानों की मेहनत से सूखे में भी लहलहाती फसलें
सूखे का भयावह कहर बरपने से एवं धुंध -स्मॉग की चादर कुछ ज्यादा ही फैलने से आमतौर पर जिंदगी प्रभावित हो रही है। स्वास्थ्य नरम पड़ रहा है और कृषक परिवार इन विपरीत परिस्थितियों में अपनी रोजी -रोटी के जुगाड़ को लेकर चिंतित दिख रहे हैं, क्योंकि प्राकृतिक मदद अभी तक मैदानी व पहाड़ी इलाकों में नदारद है। भले ही ग्लोबल वार्मिंग से मौसम चक्र बदलने की बातें खूब की जा रही हैं ऐसे हालातों में भी हिम्मत न हारने वाले एक बड़े भाग से संबंधित कठोर मेहनती लोगों ने रबी संबंधी फसलों तथा नकदी फसलों को समय रहते नमी का बेहद अग्रिम मौका संभालते हुए बहुत ही अच्छा दांव लगाया और तमाम बोआई कर दी, जिससे जहां खासतौर पर गेहूं की फसल लहलहाती नजर आ रही है। वहीं नकदी फसलों से बढ़िया भरण-पोषण होने सहित व्यावसायिक तौर पर भी अच्छी आमदनी हो रही है। यही नहीं पूर्व की भांति इस बार भी मवेशियों के लिए हरे चारे का अच्छा खासा प्रबंध कर लिया गया है, जिसका हरा भरा यानि कई प्रकार का पशु चारा जागरूक पशु पालकों के खेतों में इस शुष्क ठंड में भी देखा जा सकता है। गौरतलब है कि सूखे की स्थिति लंबी हो चली है ऐसे में दैवी शक्तियों में विश्वास रखने वाले देवभूमि के पहाड़ी लोग पूजा-अर्चना के दृष्टिगत हाथ जोड़कर भीगे -भीगे मौसम यानि वर्षा देने के लिए मंडी जिला के आराध्य देवों की शरण में भी गए हैं।