हमीरपुर के समाजसेवी शांतनु पिछले लगभग तीन दशक से हिमाचल प्रदेश में लावारिस शव को खुद जलाए जाने के बाद उनकी अस्थियों को इकट्ठा करके हरिद्वार मैं करते हैं विसर्जन,
हमीरपुर के समाजसेवी शांतनु के जुनून को कौन नहीं जानता। वह पिछले लगभग तीन दशक से हिमाचल प्रदेश में जहां कहीं भी लावारिस शव मिलता है उन लावारिस शव को जलाए जाने के बाद उनकी अस्थियों को इकट्ठा करके हरिद्वार हर की पौड़ी में पिंडदान के साथ विसर्जन करते आ रहा है। अब तक 4975 दिवंगत की अस्थियां विसर्जन कर चुके हैं
शांतनु कुमार ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस साल भी श्राद्ध पक्ष में हरिद्वार गंगा जी ब्रह्म कुंड में प्रतिपक्ष अमावस के दिन 2 अक्टूबर बुधवार के दिन इन सभी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध किया जाएगा। हमीरपुर बाजार में छोटी सी दुकान चलाकर शांतनु कुमार लावारिस शवों के लिए कंधा बने हुए हैं।
शांतनु ने कहा कि अब तक वो करीब 4975 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं।हमीरपुर के समाजसेवी शांतनु कुमार करीब 3 दशक से मिशन लावारिश के तहत लावारिस लाशों को अपने कंधों पर उठाकर न केवल उनका अंतिम संस्कार करवाते हैं। बल्कि अपने खर्चे पर हरिद्वार जाकर अस्थियों को रीति-रिवाज के साथ गंगा में विसर्जित करते हैं।
शांतनु मूल रूप से बंगाल के रहने वाले हैं। शांतनु बताते हैं कि सन् 1990 से उन्होंने समाज सेवा शुरू की थी। वो 1980 में अपने पिता के साथ में हमीरपुर आए थे। उनके पिता यहां पर सरकारी नौकरी करते थे और तब उनका पूरा परिवार हमीरपुर में ही बस गया। यहां रहने के बाद उन्होंने समाज सेवा का मन बनाया और इसी में जुट गए। अब इस कार्य को वह निरंतर करते आ रहे हैं। पूरे हिमाचल में अपनी इस समाज सेवा से लावारिस शवों गति प्रदान करवाते हैं।समाजसेवा का अलग रास्ता अपनाते हुए हमीरपुर का शांतनु अब तक 4975 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर उनकी अस्थियों को अपने खर्च पर गंगा में प्रवाहित कर चुके है।