वन रैंक वन पैंशन पार्ट.3 में चुनिंदा रैंकों के साथ घोर अन्याय
रक्षा मंत्रालय द्वारा 4 सितंबर को वन रैंक वन पेंशन के भाग 3 के रिवीजन में जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक पूर्व सैनिकों की इस ओआरओपी स्कीम की लंबे समय से चली आ रही मांग को और भी जटिल बना दिया है। संयुक्त मोर्चा ऑफ एक्स सर्विसमैन जेसीओ एवं ओआर हिमाचल प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष कैप्टन जगदीश वर्मा, महासचिव लेफ्टिनेंट रमेश कुमार तपवाल तथा कोषाध्यक्ष सूबेदार मेजर रोशन लाल चौहान ने एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि वर्तमान सरकार पूर्व सैनिकों की लंबे समय से चली आ रही मांग वन रैंक वन पेंशन स्कीम को लागू तो कर दिया, लेकिन उसमें आ रही विसंगतियों के ऊपर लगभग 2 साल बीतने के बाद भी कोई संज्ञान नहीं ले रही है। इसी संबंध में देश के लगभग 30 लाख से अधिक पूर्व सैनिक एवं वीर नारियों ने नई दिल्ली जंतर मंतर सहित देशभर में आंदोलन चलाया, लेकिन उसके बाद भी सरकार के ऊपर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा है।
समाधान देरी के कारण बढ़ी समस्या
कैप्टन जगदीश वर्मा ने कहा कि स्कीम से जो विसंगतियां उत्पन्न हुई हैं उनका समाधान करने में देरी के कारण समस्या और जटिल बन गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने संगठन की तरफ से रक्षा मंत्रालय सचिव के नाम सितंबर माह में एक पत्र भेजा था, लेकिन उसके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। कैप्टन जगदीश वर्मा ने बताया कि हम अपने संगठन की तरफ से सरकार से आग्रह करते हैं कि वह एक तीन सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के जजों की कमेटी का गठन करके और इन विषयों का उस कमेटी से अध्ययन करवाया जाए तदोपरांत दुरुस्त करवाया जाए।
यह हैं विसंगतियां
कैप्टन जगदीश वर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा पहले से चले आ रहे वेटेज के आधार पर पेंशन मिलने की प्रणाली को खत्म करना। एक समान सेवा एक समान रैंक वालों को अलग-अलग पेंशन मिलना। ऊपर के रैंक को कम और नीचे के रैंक को ज्यादा पेंशन मिलना। किसी रैंकों में कोई भी लाभ नहीं होना। वर्ष 32.5 से अधिक सेवा करने वाले को इस लाभ से वंचित रखना। अभी आने वाले पेंशन धारकों को पहले से रिटायर हुए पेंशन धारकों से कम पेंशन मिलना। इस रिवीजन में कुछ रैंकों की पेंशन को कम करने से उनकी पेंशन सातवें वेतन आयोग के 2.57 के बढ़ोतरी मापदंड को भी पूरा नहीं करती है।
अन्याय के विरुद्ध एकजुट होने की जरूरत
कैप्टन जगदीश वर्मा ने अपने संगठन की तरफ से पूरे भारतवर्ष में पूर्व सैनिकों का आह्वान किया कि वह 20 फरवरी 2023 से चले आ रहे वन रैंक वन पेंशन की विसंगतियों को ठीक करवाने के लिए आंदोलन को रोकने की बजाय उसे एकजुट होकर आगे बढ़ाने की तरफ कदम उठाएं।