पावंटा साहिब से भूटान जा रही अंग्रेजी शराब मामले में बड़ा खुलासा, ट्रांसपोर्टर की मिलीभगत से बदल दिया गया था ड्राइवर और रूट, फैक्ट्री मालिक को ब्लैकमेल करने के भी मिले सबूत
पावंटा साहिब से भूटान भेजी गई शराब के करनाल में पकड़े जाने वाले मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। मामले में ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवर की मिली भगत से रचे गए बड़े षड्यंत्र के भी पुख्ता सबूत मिले हैं। असल में मामला 25 जुलाई का है। जिसमें 24 जुलाई रात्रि करीब 9:00 बजे के आसपास पावंटा साहिब शराब फैक्ट्री से भूटान के लिए जो शराब एक्सपोर्ट की गई थी वह हरियाणा के पानीपत में पकड़ ली गई थी।मामले में ट्रक चालक और परिचालक को सीआईए पुलिस के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। हरियाणा पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाते हुए आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर पांवटा साहिब लाया गया था। हरियाणा पुलिस के द्वारा शराब फैक्ट्री प्रबंधन को भी जांच के दायरे में रखा गया। यहां हरियाणा पुलिस की जांच में हैरान कर देने वाला विषय यह भी रहा कि जहां ड्राइवर और ट्रांसपोर्टर को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए था। वहीं फैक्ट्री प्रबंधन पर भी तथ्यों से हटकर मिली भगत के आरोप लगाए जा रहे हैं। मीडिया के हाथ लगे पुख्ता सबूत के आधार पर पता चला कि गाड़ी को रवाना करने से पहले की गई वीडियोग्राफी में जो चालक गाड़ी के साथ भेजा गया था उस चालक को षड्यंत्र कार्यों के द्वारा बदल दिया गया था। जिससे साफ जाहिर होता है कि ट्रांसपोर्टर अथवा ट्रक चालकों की मंशा फैक्ट्री की शराब को भूटान ना ले जाकर कहीं और बेचना था। जांच में यह भी सामने आया है कि फैक्ट्री से ट्रक की रवानी के बाद सुबह जब फैक्ट्री प्रबंधन के द्वारा गाड़ी की लोकेशन ट्रेस की गई तो वह पांवटा साहिब के बद्रीपुर में ही आई। जबकि गाड़ी को जीपीआरएस और बताए गए रूट के अनुसार ही जाना था। फैक्ट्री के कर्मी के द्वारा ट्रक चालक को 25 जुलाई सुबह फोन भी किया गया। चालक ने बताया कि जीपीआरएस खराब हो गया है मगर वह गाड़ी लेकर निकल चुका है। 25 जुलाई को ही कुछ घंटे के बाद जब ट्रांसपोर्टर को फोन किया गया तो उसने बताया कि शराब और ट्रक दोनों हरियाणा पुलिस के द्वारा पकड़ लिए गए हैं। फैक्ट्री प्रबंधन इस बात को लेकर हैरान था कि गाड़ी का रूट हरियाणा से था ही नहीं तो ट्रक हरियाणा कैसे पहुंच गया।
वहीं ट्रांसपोर्टर ने प्रबंधन को बताया कि उन्होंने पुलिस के साथ सांठ-गांठ कर ली है। जबकि हरियाणा पुलिस की ओर से ऐसा कहा गया था या नहीं इसका ट्रांसपोर्टर के पास कोई सबूत नहीं है। जाहिर है ट्रांसपोर्टर हरियाणा पुलिस को भी बदनाम करने की साजिश रच रहा है। उन्होंने बताया कि मामले को रफा दफा करने के लिए चार लाख मांगे गए हैं। जिसका पुख्ता सबूत ट्रांसपोर्टर के द्वारा दो चेक की फोटो और कन्वर्सेशन का स्क्रीनशॉट भी मिला है। प्रबंधन ने इसकी जानकारी फैक्ट्री के मालिक को दी। इसके बाद मालिक ने इस मामले की शिकायत पांवटा साहिब पूरुवाला थाना में 26 जुलाई को दर्ज भी करवा दी। असल में नियमानुसार माल को गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ट्रांसपोर्टर की होती है। फैक्ट्री प्रबंधन बाकायदा इंस्पेक्टर की देखरेख में सारे कागज बनवाकर गाड़ी को ट्रांसपोर्टर के हवाले कर गंतव्य तक भेजता है। गाड़ी को भेजे जाने से पहले चालक और गाड़ी तथा गाड़ी में रखे हुए शराब व सामान की पूरी वीडियोग्राफी भी की जाती है। ऐसे में साफ जाहिर है कि ट्रांसपोर्टर अथवा चालक के द्वारा अपराध की मंशा के साथ फैक्ट्री प्रबंधन के साथ धोखाधड़ी करते हुए गाड़ी को कहीं और ले जाना चाहा। यहां यह भी बताना जरूरी है कि जिस ट्रांसपोर्टर के माध्यम से फैक्ट्री की तैयार शराब को भेजा जाता था उसके लिए ट्रांसपोर्टर के द्वारा अपनी गाड़ी ना भिजवाकर बल्कि काला अंब से कोई और गाड़ी भिजवाई गई थी। जानकारी तो यह भी मिली है कि जिस व्यक्ति से गाड़ी लगवाई गई थी वह व्यक्ति घटना वाले दिन से ही फरार चल रहा है। पकड़े गए कथित आरोपियों ने अपने बयान में यह भी बताया कि पुलिस के द्वारा उन्हें 25 जुलाई की रात को थाना अथवा चौकी में ना ले जाकर किसी शैड में रखा गया था। इस दौरान केवल चार-पांच पुलिसकर्मी ही उनके साथ थे। बाद में पुलिस के द्वारा यह मामला सीआईए के सुपुर्द किया गया। अब यहां सवाल यह भी उठना है कि जिन्होंने शराब से भरे ट्रक को पकड़ा था वह रिकवरी वाले थे या पुलिस वाले यह एक जांच का विषय है। चौंकाने वाली बात तो यह भी सामने आई है कि जिस चालक और परिचालक को हरियाणा पुलिस ने पकड़ा है। उस चालक और परिचालक ने हिमाचल पुलिस को जांच में बताया कि वह कभी पाउंटा गए ही नहीं हैं। इस पूरे प्रकरण में यह तो स्पष्ट है कि फैक्ट्री प्रबंधन पूरी तरह से बेकसूर है। अब सवाल यह उठता है कि जिस समय गाड़ी उस दौरान मौके पर रिकवरी की टीम थी या फिर पुलिस यह एक बड़ी जांच का विषय है। वहीं फैक्ट्री प्रबंधन ने भी यह स्पष्ट किया है कि वह हर तरह की जांच में सहयोग करने को भी तैयार है मगर उन्हें। बेवजह झूठा फसाए जाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। फैक्ट्री प्रबंधन के पास बाकायदा ट्रांसपोर्टर की बिल्टी भी मौजूद है यही नहीं जिस चालक को गाड़ी के साथ भेजा गया था उसकी फोटो और गाड़ी की पूरी वीडियोग्राफी भी संरक्षित रखी गई है।