भाई हिरदा राम की 139वीं जयंती पर किए श्रद्धा सुमन अर्पित गदर पार्टी के प्रमुख सदस्य और स्वतंत्रता सेनानी थे भाई हिरदाम
छोटी काशी मंडी से भी बहुत से स्वतंत्रता सेनानी रहे जिनमें से भाई हिरदा राम का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। वीरवार को इंदिरा मार्केट की छत पर स्थापित भाई हिरदाराम की प्रतिमा के समक्ष एक कार्यक्रम का अयोजन किया गया जिसमें स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदाराम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी 139वीं जयंती मनाई गई। वरिष्ठ साहित्यकार एवं लेखक कृष्ण कुमार नूतन सहित नगर निगम के उपमहापौर माधुरी कपूर और भाई हिरदा राम के पौत्र शमशेर सिंह मिन्हास सहित परिवार के सदस्यों और अन्य गणमान्य लोगों ने भाई हिरदा राम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कुमार नूतन ने अपने संबोधन में कहा कि देश को आजादी दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी ने कई यातनाएं सही, उन्होंने काफी समय भाई हिरदाराम के साथ गुज़ारा है और जब वे जेल में थे तो वीर सावरकर की यातनाओं के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि आज हर भारतवासी बंटता जा रहा है लेकिन आज हमें एक होकर जाति धर्म से ऊपर उठकर कार्य करना चाहिए। इस मौके पर भाई हिरदा राम के पौत्र शमशेर सिंह मिन्हास ने बताया कि वे अपने दादा भाई हिरदा राम के नाम से एक ट्रस्ट का संचालन करना चाहते हैं। यदि सरकार इस ट्रस्ट के लिए जमीन उपलब्ध करवाती है तो लोगों के सहयोग से इसका संचालन किया जाएगा और इसके माध्यम से लोगों की मदद और सेवा की जाएगी। शमशेर सिंह ने कहा भाई हिरदा राम की जयंती व पुण्यतिथि के कार्यक्रम को सरकारी कार्यक्रम घोषित किया जाए। साथ ही उन्होंने प्रशासन से मांग की कि भाई हिरदा राम और स्वामी कृष्णा नंद जैसी महान विभूतियों की प्रतिमाएं है लेकिन प्रशासन इनकी देखभाल सही से नहीं कर रहा है प्रशासन या नगर निगम को इनके संरक्षण के प्रति कार्य करना चाहिए। इस अवसर पर मुरारी शर्मा, मनोहर लाल, इंद्र सिंह ठाकुर, मान सिंह राणा, गंगा राम, प्रवीण शर्मा ने भी स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम के जीवन पर प्रकाश डाला।
कौन थे भाई हिरदा राम
भाई हिरदाराम महान स्वतंत्रता सेनानी व क्रांतिकारी थे जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाई। उनका जन्म 28 नवंबर 1885 को मंडी में हुआ। भाई हिरदा राम गदर पार्टी के प्रमुख सदस्य थे और उन्हें लाहौर बम कांड में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा फांसी की सजा दी गई थी जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया। भाई हिरदा राम को अंडमान निकोबार की जेल में काले पानी की सजा दी गई जहां उन्हें कई प्रकार की यातनाएं सहन करनी पड़ी। सजा काटने के बाद उन्हें 1929 को रिहा किया गया लेकिन इसके बाद भी इन्हें अपने घर नहीं जाने दिया गया था। देश की आजादी के बाद वे अपने घर मंडी वापिस आ सके थे। 21 अगस्त 1965 को उनका देहांत हो गया।