अक्षत ऊर्जा दिखा रही स्वरोजगार का नया उजाला, हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने प्रयास रंग दिखाने लगे
अक्षय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन के सफल प्रयास स्वरोजगार का नया उजाला लेकर आए हैं। सरकार की सौर ऊर्जा नीति ने बंजर भूमि में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट स्थापित कर आमदनी की नई संभावनाएं अंकुरित की हैं, वहीं सस्ती दरों पर विद्युत उत्पादन की राहें भी तलाशी हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के कुशल नेतृत्व में प्रदेश सरकार हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने की ओर अग्रसर है, जिसके सार्थक परिणाम अब दिखने लगे हैं। जिला मंडी के सरकाघाट उपमंडल के गांव जंधरू खुर्द के अधिवक्ता पंजाब सिंह तपवाल ने सरकार की सौर ऊर्जा नीति के तहत उपदान के साथ अक्षय ऊर्जा पर आधारित प्रोजेक्ट स्थापित करके प्रतिमाह 2 से 3 लाख रुपए की आमदनी का नया जरिया बनाया है। पंजाब सिंह तपवाल ने 8 बीघा बंजर भूमि पर 500 किलोवाट का सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किया है।पंजाब सिंह का कहना है कि उनके मन में हमेशा से अपने गांव के लिए कुछ करने का सपना था। इसे साकार करने के लिए गांव में सोलर पावर प्लांट स्थापित किया। हिमाचल सरकार की सोलर पॉवर पॉलिसी के तहत उन्होंने सोलर पावर प्लांट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। उन्हें सरकार द्वारा 500 किलोवॉट का सोलर पॉवर प्लांट मिला है। प्लांट स्थापित करने के लिए वर्षों से खाली पड़ी बंजर भूमि को चिन्हित किया। इस जमीन पर खेती नहीं की जा सकती थी। साथ ही यहां बंदरों व जंगली जानवरों का भी आतंक था। उन्होंने 8 बीघा जमीन पर सोलर पावर प्लांट स्थापित किया। इससे भूमि का भी सही उपयोग हो गया और अच्छी आमदनी भी शुरू हो गई। सौर ऊर्जा हरित ऊर्जा का ही एक नवीकरणीय स्त्रोत है और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी बेहतर है। पंजाब सिंह ने बताया कि पहले भी उन्होंने दो बार ऑनलाइन आवेदन किया था, मगर सफल नहीं हुए। अब वर्तमान सरकार ने सोलर प्लाँट लगाने की प्रक्रिया को आसान बनाया है। सिंगल विंडो सिस्टम से इसके लिए आवेदन करना बहुत आसान हुआ है। अब सोलर प्रोजेक्ट स्थापित करने में समय भी कम लग रहा है।
लोन लेकर किया कार्य शुरू
पंजाब सिंह ने कहा कि उन्होंने अप्रैल, 2024 में इसके लिए आवेदन किया था। इसके लिए उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सुंदरनगर से लोन लिया। लोन प्रक्रिया में भी हिम उर्जा विभाग ने मदद की तथा 4 जून को प्लांट कमिशनिंग के लिए तैयार हो गया। 25 जुलाई, 2024 को इसकी कमिशनिंग पूरी हुई। इस पूरी प्रक्रिया में उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा। संयंत्र स्थापित करने पर लगभग 1.70 करोड़ रुपए की लागत आई है। उन्होंने कहा कि प्लांट से उत्पादित विद्युत की वर्तमान में 3.75 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिक्री हो रही है। उन्होंने जुलाई माह में पहले 5 दिन के लिए 39,000 रुपए, अगस्त में 1.73 लाख रुपए तथा सितम्बर में 1.92 लाख रुपए की बिजली बिक्री की है। उन्होंने बताया कि उन्हें इस प्रोजेक्ट से 24 से 28 लाख वार्षिक आमदनी की उम्मीद है। कुल लागत 8 से 10 साल में पूरा कर लेंगे तथा इसके बाद आने वाले 15 सालों में अच्छी आमदनी और शुद्ध मुनाफा होगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि जिला मंडी में सौर उर्जा के सही उपयोग पर बल दिया जा रहा है। जिला में अब तक 16 सोलर प्लांट से लगभग 6.86 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है। लोगों को हरित ऊर्जा के उत्पादन के लिए विभिन्न विभागों के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है। अधीक्षण अभियंता विद्युत विभाग, मंडी अरूण शर्मा ने बताया कि जिला के सधवानी, बाड़ी-गुमाणू, तल्याहड़, राव, लुहणू बायला, कीपड़, साड़ा औट, पटरीघाट, भाम्बला, बोबर जड़ोल, जैदेवी, कलौहड, बीणा कलौहड, जंधरू खूर्द, खुडला, भद्रवाड़ में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। इनसे उत्पादित बिजली सरकार 3.75 रुपए प्रति यूनिट की दर पर खरीद कर रही है। संयंत्र स्थापित करने के लिए आवेदनकर्ता को हरसंभव मदद प्रदान की जा रही है।